नयी दिल्ली, 16 दिसंबर सरकार ने सोमवार को कहा कि दिल्ली में भूजल संसाधानों पर अत्यधिक दबाव है जहां भूजल दोहन की समग्र दर 99.13 प्रतिशत है जिसे ‘गंभीर’ श्रेणी में रखा गया है जबकि बेंगलुरू में स्थिति और भी चिंताजनक है क्योंकि वहां यह दर 150.84 प्रतिशत है।
जल शक्ति राज्य मंत्री राजभूषण चौधरी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के कलपक्कम में परमाणु संयंत्रों से निकले खारे पानी को पेयजल योग्य बनाने की प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रौद्योगिकी का व्यापक रूप से इस्तेमाल नहीं हो रहा है।
उन्होंने कहा कि इसके स्थान पर रिवर्स ओस्मोसिस (आरओ) मेम्बरेन प्रौद्योगिकी को भूजल को शोधित करने के लिए समुचित माना जाता है।
मंत्री ने कहा कि सरकार दिल्ली एवं बेंगलुरू जैसे शहरी क्षेत्रों में भूजल गतिशीलता की समीक्षा कर रही है किंतु मुंबई के बारे में ऐसा आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
चौधरी ने कहा कि दिल्ली में भूजल संसाधानों पर अत्यधिक दबाव है जहां भूजल दोहन की समग्र दर 99.13 प्रतिशत है जिसे ‘गंभीर’ श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने कहा कि भूजल दोहन के मामले में राजधानी का वसंत विहार अग्रणी है।
उन्होंने कहा कि वसंत विहार, महरौली और साकेत जैसे इलाकों में इसकी दर क्रमश: 153.13 प्रतिशत, 117.9 प्रतिशत और 116.31 प्रतिशत है।
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