देश की खबरें | योजनाएं लाते समय सरकार को उनका आर्थिक प्रभाव भी ध्यान में रखना चाहिए : न्यायालय

नयी दिल्ली, छह अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि सरकार को किसी भी योजना को लाते समय हमेशा “वित्तीय प्रभाव” को ध्यान में रखना चाहिए । न्यायाय ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि यह एक उत्कृष्ट उदाहरण है जहां एक अधिकार बना दिया गया है लेकिन “स्कूल कहां हैं?”

यह टिप्पणी न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने की, जो वैवाहिक घरों में प्रताड़ित महिलाओं को प्रभावी कानूनी सहायता प्रदान करने और उनके लिए आश्रय गृह बनाने के लिए देश भर में पर्याप्त बुनियादी ढांचे की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने कहा, “हम आपको सलाह देंगे कि जब भी आप इस प्रकार की योजनाओं या विचारों के साथ आते हैं, तो हमेशा वित्तीय प्रभाव को ध्यान में रखें .....।” पीठ में न्यायमूर्ति एसआर भट और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं।

पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी से कहा कि इसका “उत्कृष्ट उदाहरण” शिक्षा का अधिकार अधिनियम है।

शीर्ष अदालत ने कहा, “आपने एक अधिकार बनाया है। स्कूल कहां हैं? इसलिए, स्कूलों को नगर पालिकाओं, राज्य सरकारों आदि सहित विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा स्थापित किया जाना है। उन्हें शिक्षक कहां मिलते हैं?”

पीठ ने कहा कि कुछ राज्यों में ‘शिक्षा मित्र’ हैं और इन व्यक्तियों को नियमित भुगतान के बदले लगभग 5,000 रुपये दिए जाते हैं।

इसने कहा कि जब अदालत राज्य से इसके बारे में पूछती है, तो वे कहते हैं कि बजट की कमी है।

पीठ ने कहा, “आपको संपूर्णता में देखना होता है। अन्यथा, यह सिर्फ जुमलेबाजी ही बन जाती है।”

सुनवाई की शुरुआत में, भाटी ने पीठ को बताया कि उन्होंने एक पत्र दिया है जिसमें अदालत के पहले निर्देश के अनुसार विवरण रखने के लिए कुछ समय मांगा गया है।

शीर्ष अदालत ने फरवरी में केंद्र को एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था, जिसमें विभिन्न राज्यों द्वारा डीवी अधिनियम (घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005) के तहत प्रयासों का समर्थन करने के लिए केंद्रीय कार्यक्रमों / योजनाओं की प्रकृति के बारे में विवरण देना शामिल है। इसमें वित्त पोषण की सीमा, वित्तीय सहायता को नियंत्रित करने की शर्तें और नियंत्रण तंत्र भी शामिल हैं।

बुधवार को सुनवाई के दौरान भाटी ने पीठ को बताया कि “काफी प्रगति हुई है।”

पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कहा कि वह विवरण देते हुए एक स्थिति रिपोर्ट दायर कर सकती हैं।

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