नयी दिल्ली, एक मार्च चीनी मिलों को राहत देने के लिए, सरकार चीनी विकास निधि (एसडीएफ) के तहत लिए गए ऋणों के लिए संशोधित दिशानिर्देश लेकर आई है। इसके तहत कारखानों को ऋण पुनर्गठन का विकल्प और एकमुश्त निपटान का विकल्प दिया गया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 31 जनवरी तक, चीनी मिलों पर विभिन्न योजनाओं के तहत 3,730.15 करोड़ रुपये का ऋण बकाया है। इसमें दंडात्मक ब्याज लगभग 939.87 करोड़ रुपये है।
खाद्य मंत्रालय ने 28 फरवरी को एसडीएफ ऋणों के पुनर्गठन के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा, ‘‘एसडीएफ ऋणों का पुनर्गठन मूल धनराशि और पुनर्निर्धारण के साथ शेष ब्याज के पूंजीकरण के रूप में होगा।’’
इसमें कहा गया है कि पुनर्गठन के मामले में दंडात्मक ब्याज माफ कर दिया जाएगा।
पुनर्गठन विकल्प के तहत, सरकार ने शेष मूल राशि और ब्याज राशि के भुगतान के लिए 24 महीने की मोहलत अवधि की पेशकश की है। हालांकि, मोहलत की अवधि के दौरान सामान्य ब्याज मिलता रहेगा।
दिशानिर्देशों में कहा गया है, ‘‘मूलधन और ब्याज सहित शेष ऋण राशि को मोहलत अवधि के बाद पांच साल के लिए समान मासिक किस्तों में विभाजित किया जाएगा।’’
एकमुश्त निपटान के मामले में, सरकार ने कहा कि यदि चीनी मिलें छह महीने के भीतर अपना बकाया चुका देती हैं, तो दंडात्मक ब्याज माफ कर दिया जाएगा।
हालांकि, मंत्रालय ने कहा, केवल उन चीनी मिलों के लिए इस विकल्प पर विचार किया जाएगा, जो पिछले तीन वित्त वर्षों से लगातार घाटा उठा रही हैं या उनका ‘नेटवर्थ’ नकारात्मक है।
इसके अलावा, चीनी मिलों को पेराई बंद नहीं करनी चाहिए या मौजूदा चीनी सत्र को छोड़कर दो से अधिक चीनी सत्रों के लिए बंद नहीं रखना चाहिए।
इस फैसले की सराहना करते हुए, नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ (एनएफसीएसएफ) के अध्यक्ष हर्षवर्द्धन पाटिल ने कहा, ‘‘उपरोक्त दोनों योजनाएं देश भर के सहकारी कारखानों को बड़ी राहत देंगी। इसके साथ ही, वे सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के पात्र होंगे।’’
संशोधित दिशानिर्देश 1,378 करोड़ रुपये की बकाया ऋण राशि का पुनर्गठन करके देश भर में 33 सहकारी चीनी मिलों को बड़ी राहत प्रदान करेंगे।
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