कोच्चि, 21 नवंबर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सोमवार को कहा कि एक “राष्ट्रीय परिपाटी” और “राष्ट्रीय सर्वसम्मति” के माध्यम से तय किया गया है कि राज्यपाल अपने पद के आधार पर कुलाधिपति का पद भी धारण करते हैं, “किसी राज्य सरकार की इच्छा के कारण नहीं”।
खान ने कहा कि विश्वविद्यालय की नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद की अनुमति नहीं दी जा सकती है और अगर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को उनके कार्यालय में क्या हो रहा है, इसके बारे में पता नहीं था, तो वह “अक्षम” थे।
विजयन पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनके कार्यालय का कोई व्यक्ति कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति को एक रिश्तेदार को नियुक्त करने का निर्देश दे रहा है, तो “यह दिखाता है कि वह (सीएम) कितने अक्षम हैं”।
खान ने दिल्ली से लौटने के एक दिन बाद यहां कहा, “अगर उन्हें (मुख्यमंत्री) इसके बारे में पता था, तो वह भी उतने ही दोषी हैं।”
उन्होंने इस सवाल को भी खारिज कर दिया कि क्या विश्वविद्यालयों में “सफाई कार्य” चल रहा था।
खान ने कहा, “सफाई कार्य नहीं है। विश्वविद्यालयों को उनके प्राचीन गौरव को बहाल करना होगा। उन्हें इस ‘भाई-भतीजावाद’ से मुक्त होना होगा।”
उन्होंने कहा कि कुलाधिपति के रूप में उनका कर्तव्य यह सुनिश्चित करना था कि विश्वविद्यालयों में कोई कार्यकारी हस्तक्षेप न हो और यही कारण है कि राज्यपाल अपने पद के आधार पर कुलाधिपति का पद धारण करते हैं।
उन्होंने तिरुवनंतपुरम के लिए रवाना होने से पहले एर्णाकुलम में सोमवार को संवाददाताओं से कहा, “1956 में केरल के अस्तित्व में आने से पहले भी राज्यपाल विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति थे। यह एक ऐसी चीज है जिस पर एक राष्ट्रीय सहमति बनी और एक राष्ट्रीय परिपाटी विकसित हुई। क्यों? ताकि विश्वविद्यालयों में कोई कार्यकारी हस्तक्षेप न हो और उनकी स्वायत्तता सुरक्षित रहे।”
उन्होंने कहा, “वे एक राष्ट्रीय परिपाटी या राष्ट्रीय सर्वसम्मति को नहीं तोड़ सकते। यह उनकी शक्तियों से परे है। उन्हें कोशिश करने दें।”
केरल की वाम सरकार का दावा है कि राज्यपाल को विधानसभा द्वारा एक कानून के माध्यम से कुलाधिपति का पद दिया गया था और इसलिए इसे वापस लिया जा सकता है।
केरल सरकार द्वारा उन्हें कुलाधिपति पद से हटाने के अध्यादेश और उस दिशा में अन्य कदमों के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में, खान ने कहा कि ये राज्य सरकार द्वारा हाल के अदालती आदेशों से “ध्यान भटकाने” और उसके परिणामस्वरूप उन्हें हुई “शर्मिंदगी को छिपाने” के प्रयास थे।
खान ने कहा, “वे मूल रूप से अब क्या कर रहे हैं? वे न्यायिक फैसलों से परेशान हैं और वे ध्यान राज्यपाल पर केंद्रित कराना चाहते हैं। ऐसा नहीं होगा। अगर वे कानून तोड़ते हैं, तो राज्यपाल पहले समीक्षा करने वाला प्राधिकारी होता है, लेकिन यह अंततः अदालतों के पास जाएगा।”
उन्होंने कहा, “इन चीजों के बारे में चिंता न करें। वे केवल वही कर रहे हैं जो वे अभी कर रहे हैं, ताकि शर्मिंदगी को छिपाया जा सके।”
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