कोलकाता, 19 नवंबर केंद्रीय इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि इस्पात क्षेत्र के लिए लौह अयस्क की आपूर्ति की तंगी के मद्देनजर इसके निर्यात पर रोक के सुझावों पर विचार किया जा सकता है।
इस्पात क्षेत्र के प्रतिनिधि सरकार से घरेलू उद्योग को समर्थन के लिए लौह अयस्क के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। प्रधान ने बृहस्पतिवार को मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स (एमसीसी) की वार्षिक आम बैठक को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यह अच्छा सुझाव है। हम इसे देखेंगे। हम सभी अंशधारकों से बात कर रहे हैं।’’
प्रधान ने कहा कि आपूर्ति की समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकारों को नीतिगत कदम उठाना चाहिए।
इस्पात मंत्री ने कहा कि लौह अयस्क की आपूर्ति को लेकर हालांकि दिक्कतें हैं, इसके बावजूद 2019-20 में लौह अयस्क का कुल उत्पादन 25 करोड़ टन रहा था, जबकि घरेलू मांग 18 करोड़ टन की ही थी।
एमसीसी के सदस्यों सहित प्रतिनिधियों ने कहा कि केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को कम से कम अस्थायी रूप से उन खानों को दे सकती है, जिनमें वाणिज्यिक उत्पादन शुरू नहीं हुआ है।
प्रधान ने कहा कि सरकार केंद्रीय संगठनों द्वारा घरेलू स्तर पर लौह एवं इस्पात उत्पादों की खरीद बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘घरेलू स्तर पर विनिर्मित लौह एवं इस्पात उत्पाद (डीएमआई एंड एसपी) नीति के जरिये अब तक 20,000 करोड़ रुपये के इस्पात आयात को बचाया गया है। हम क्षेत्र के लिए कच्चे माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर काम कर रहे हैं।’’
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