नयी दिल्ली, 8 दिसंबर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार वैश्विक सांस्कृतिक पहल को संस्थागत बनाने और वेनिस, लंदन तथा साओ पाउलो जैसे शहरों में इसी तरह के आयोजनों की तर्ज पर एक आधुनिक प्रणाली विकसित करने के लिए काम कर रही है. लालकिले में पहले ‘भारत कला, वास्तुकला और डिजाइन बिएननेल (आईएएडीबी) 2023’ का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि ऐसे आयोजनों को दुनिया के कुछ शहरों में इसी तरह के कार्यक्रमों के रूप में वैश्विक पहचान मिलनी चाहिए.
उन्होंने संस्कृति, वास्तुकला और कलाकृति क्षेत्र में देश के समृद्ध प्राचीन इतिहास का हवाला दिया और केदारनाथ तथा महाकाल जैसे पवित्र स्थानों के विकास एवं नवीकरण का उदाहरण देते हुए कहा कि भारतीय कला और वास्तुकला से जुड़े स्थानों को विकसित करने के लिए गर्व की भावना के साथ बहुत काम हो रहा है. मोदी ने कहा, "भारत की जीवंत संस्कृति और प्राचीन विरासत दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करती है."
यह उल्लेख करते हुए कि भारत सर्वाधिक विविधता वाला देश है, उन्होंने कहा कि कला और संस्कृति विविधता के साथ-साथ एकता के स्रोत रहे हैं, जो लोगों को जोड़ते भी हैं और सद्भाव भी फैलाते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा, "जब मेरी सरकार संस्कृति की बात करती है, तो हम सभी प्रकार की विविधता का स्वागत करते हैं और उसका समर्थन करते हैं." उन्होंने कहा कि भारत ने जी20 की अध्यक्षता के दौरान कई कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी विविधता का प्रदर्शन किया.
उन्होंने कहा कि कला, संस्कृति और वास्तुकला विचारों की स्वतंत्रता के माहौल में ही फलती-फूलती है, क्योंकि बहस और संवाद की संस्कृति में विविधता बढ़ती है. मोदी ने कहा, "हम दुनिया में सबसे विविधतापूर्ण देश हैं, लेकिन यह विविधता हमें एक साथ बांधती भी है." उन्होंने कहा कि पांच शहरों-दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद और वाराणसी में "सांस्कृतिक स्थलों" की शुरुआत एक ऐतिहासिक शुरुआत है तथा यह उन्हें समृद्ध करेगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि साहित्य, कला और संगीत मनुष्यों तथा अन्य प्रजातियों के बीच अंतर करते हैं.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)