पार्टी सांसद रंजीत रंजन ने केंद्र पर ‘भगोड़ी सरकार’ होने का आरोप भी लगाया और कहा कि वह विपक्ष के सवालों से डरती है और ऐसे में वह अपने मंत्रियों को सामने लाकर बचाव की कोशिश करती है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब भी मोदी सरकार डरती है, अपने मंत्रियों को सामने लाती है। यह एक भगोड़ी सरकार है जो विपक्ष से डरती है, सदन में आने से डरती है और सवालों से बचती है।’’
उनका कहना था, ‘‘हमारी साधारण सी मांग हैं कि प्रधानमंत्री मोदी सदन में आकर बयान दें और मणिपुर हिंसा पर चर्चा हो। हम चाहते हैं कि मणिपुर हिंसा पर राज्यसभा में नियम 267 और लोकसभा में कार्यास्थगन प्रस्तावों के तहत किया जाए।’’
रंजीन रंजन सवाल किया कि क्या मणिपुर की घटना के बारे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को जानकारी नहीं थी?
उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह कह रहे हैं कि वायरल वीडियो में जिस तरह महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ है, वैसी राज्य में सैकड़ों घटनाएं हुई हैं और कई प्राथमिकी दर्ज हैं। क्या इसकी जानकारी प्रधानमंत्री को नहीं होगी? जहां हिंसा हो रही है, वह अंतरराष्ट्रीय सीमा वाला इलाका है, तो क्या सरकार को सदन में जवाब नहीं देना चाहिए?’’
रंजीत ने सरकार को चुनौती दी, ‘‘अगर सरकार में हिम्मत है और प्रधानमंत्री का 56 इंच का सीना है तो वह सदन में आकर जवाब दें।’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र सरकार के मंत्री और भाजपा के नेता विपक्ष शासित राज्यों में अपराध की घटनाओं की तुलना मणिपुर की घटना से कर रहे हैं, जबकि यह पूरी तरह अनुचित हैं कि क्योंकि अन्य जगहों पर अपराध की घटनाओं को लेकर तत्काल प्राथमिकी दर्ज करके कार्रवाई हुई है।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या किसी अन्य राज्य में मणिपुर की तरह महिलाओं के साथ अमर्यादित व्यवहार हुआ?’’
रंजीत ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और भाजपा अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं।
मणिपुर के विषय पर हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र के पहले दो दिनों में कोई प्रमुख विधायी कार्य नहीं हो सका।
मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
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