नयी दिल्ली, 24 अक्टूबर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और बिहार से जुड़ी दो रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी। इस पर कुल 6,798 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने बिहार में नरकटियागंज-रक्सौल-सीतामढ़ी-दरभंगा और सीतामढी-मुजफ्फरपुर खंड के 256 किलोमीटर लंबी रेल लाइन के दोहरीकरण और अमरावती होते एर्रुपलेम और नाम्बुरु के बीच 57 किलोमीटर की नई लाइन के निर्माण को मंजूरी दी।
इन दोनों परियोजनाओं से मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और बिहार को लाभ होगा। भाजपा का दोनों राज्यों में सत्तारूढ़ क्रमशः तेदेपा और जनता दल (यू) के साथ गठबंधन है।
आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘‘नरकटियागंज-रक्सौल-सीतामढ़ी-दरभंगा और सीतामढी-मुजफ्फरपुर खंड के दोहरीकरण से नेपाल, पूर्वोत्तर भारत और सीमावर्ती क्षेत्रों से संपर्क सुविधा मजबूत होगी और मालगाड़ी के साथ-साथ यात्री ट्रेनों की आवाजाही बेहतर होगी। इसके परिणामस्वरूप क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास होगा।’’
इसमें कहा गया, ‘‘नई रेल लाइन परियोजना एर्रुपलेम-अमरावती-नाम्बुरु आंध्र प्रदेश के एनटीआर विजयवाड़ा और गुंटूर जिलों और तेलंगाना के खम्मम जिले से होकर गुजरेगी।’’
सरकार के अनुसार, तीन राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और बिहार के आठ जिलों से गुजरने वाली वाली ये दोनों परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 313 किलोमीटर की बढ़ोतरी करेंगी।
बयान में कहा गया है कि नई लाइन परियोजना से नौ नए स्टेशनों के साथ लगभग 168 गांवों और लगभग 12 लाख आबादी के लिए संपर्क की सुविधा मिलेगी।
इसके अलावा, ‘मल्टी-ट्रैकिंग’ परियोजना से दो आकांक्षी जिलों (सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर) तक संपर्क सुविधा बेहतर होगी। इससे लगभग 388 गांवों और करीब नौ लाख आबादी को लाभ होगा।
सरकार के अनुसार, ये कृषि उत्पाद, उर्वरक, कोयला, लौह अयस्क, इस्पात और सीमेंट जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक मार्ग हैं।
माल ढुलाई परिचालन पर प्रभाव के बारे में इसमें कहा गया है कि क्षमता वृद्धि कार्यों से 3.1 करोड़ टन सालाना अतिरिक्त माल की ढुलाई हो सकेगी।
इसमें कहा गया है, ‘‘नई लाइन का प्रस्ताव आंध्र प्रदेश की प्रस्तावित राजधानी अमरावती के लिए सीधी संपर्क सुविधा प्रदान करेगा। साथ ही उद्योगों और आबादी के लिए परिवहन व्यवस्था में सुधार करेगा...।’’
वहीं ‘मल्टी-ट्रैकिंग’ से परिचालन आसान होगा और भीड़भाड़ कम होगी। इससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंडों पर जरूरी ढांचागत विकास होगा।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)