विदेश की खबरें | जर्मनी के राष्ट्रपति ने संसद भंग की, 23 फरवरी को होगा चुनाव
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

उन्होंने कहा कि देश को स्थिर सरकार देने का यही एकमात्र तरीका है जो इसकी समस्याओं से निपटने में सक्षम हो।

शोल्ज 16 दिसंबर को विश्वासमत हार गए थे और अब अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।

शोल्ज की तीन पार्टियों वाली गठबंधन सरकार छह नवंबर को तब संकट में घिर गई, जब उन्होंने जर्मनी की स्थिर अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के तरीके पर विवाद के कारण अपने वित्त मंत्री को बर्खास्त कर दिया था।

स्टीनमीयर ने कहा कि उन्होंने यह निर्णय इसलिए लिया क्योंकि पार्टी नेताओं के साथ परामर्श के बाद यह स्पष्ट हो गया कि वर्तमान संसद में नयी सरकार के लिए बहुमत पर जर्मनी के राजनीतिक दलों के बीच कोई सहमति नहीं है।

बर्लिन में घोषणा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे कठिन समय में स्थिरता के लिए ऐसी सरकार की आवश्यकता होती है जो कार्रवाई करने में सक्षम हो और संसद में विश्वसनीय बहुमत हो। इसलिए मैं आश्वस्त हूं कि हमारे देश की भलाई के लिए नया चुनाव ही सही रास्ता है।’’

चूंकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का संविधान ‘बुंडेस्टैग’ (संसद) को खुद को भंग करने की अनुमति नहीं देता है, इसलिए यह स्टीनमीयर पर निर्भर था कि वह संसद को भंग करके चुनाव करवाते हैं या नहीं। यह निर्णय लेने के लिए उनके पास 21 दिन थे। संसद भंग होने के बाद, देश में चुनाव 60 दिनों के भीतर होने चाहिए।

कई प्रमुख दलों के नेता इस बात पर सहमत हैं कि संसदीय चुनाव मूल योजना से सात महीने पहले, 23 फरवरी को कराए जाने चाहिए।

चुनावी सर्वेक्षणों से पता चलता है कि शोल्ज की पार्टी फ्रेडरिक मर्ज के नेतृत्व वाले रूढ़िवादी विपक्षी यूनियन गठबंधन से पीछे है। शोल्ज की सरकार में ग्रीन्स पार्टी भी शीर्ष पद के लिए दावेदारी कर रही है हालांकि दौड़ में काफी पीछे है।

प्रमुख मुद्दों में आप्रवासन, सुस्त अर्थव्यवस्था को गति देना तथा रूस के खिलाफ संघर्ष में यूक्रेन की ज्यादा से ज्यादा सहायता करना शामिल है।

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