नयी दिल्ली, नौ जनवरी बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का बकाया जनवरी, 2022 में सालाना आधार पर 4.4 प्रतिशत बढ़कर 1,21,030 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
जनवरी, 2021 तक डिस्कॉम पर बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 1,15,904 करोड़ रुपये था।
पेमेंट रैटिफिकेशन एंड एनालिसिस इन पावर प्रोक्यूरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपैरेंसी इन इन्वॉयसिंग ऑफ जेनरेशन (प्राप्ति) पोर्टल से यह जानकारी मिली है। जनवरी, 2022 में डिस्कॉम पर कुल बकाया पिछले महीने यानी दिसंबर, 2021 की तुलना में भी बढ़ा है। दिसंबर में यह 1,15,462 करोड़ रुपये था।
बिजली उत्पादकों तथा डिस्कॉम के बीच बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए प्राप्ति पोर्टल मई, 2018 में शुरू किया गया था।
जनवरी, 2022 तक 45 दिन की मियाद या ग्रेस की अवधि के बाद भी डिस्कॉम पर कुल बकाया राशि 1,01,357 करोड़ रुपये थी। यह एक साल पहले समान महीने में 99,650 करोड़ रुपये थी। दिसंबर, 2021 में डिस्कॉम पर कुल बकाया 99,981 रोड़ रुपये था।
बिजली उत्पादक कंपनियां डिस्कॉम को बेची गई बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए 45 दिन का समय देती हैं। उसके बाद यह राशि पुराने बकाये में आ जाती है। ज्यादातर ऐसे मामलों में बिजली उत्पादक दंडात्मक ब्याज वसूलते हैं। बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत के लिए केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू है। इस व्यवस्था के तहत डिस्कॉम को बिजली आपूर्ति पाने के लिए साख पत्र देना होता है।
केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को भी कोविड-19 महामारी की वजह से कुछ राहत दी है। भुगतान में देरी के लिए डिस्कॉम पर दंडात्मक शुल्क को माफ कर दिया गया है। सरकार ने मई, 2020 में डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की योजना पेश की थी। इसके तहत बिजली वितरण कंपनियां पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) तथा आरईसी लिमिटेड से सस्ता कर्ज ले सकती हैं। बाद में सरकार ने इस पैकेज को बढ़ाकर 1.2 लाख करोड़ रुपये और उसके बाद 1.35 लाख करोड़ रुपये कर दिया।
आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों का उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है।
भुगतान की मियाद समाप्त होने के बाद जनवरी, 2022 तक डिस्कॉम पर कुल बकाया 1,01,357 करोड़ रुपये था। इसमें स्वतंत्र बिजली उत्पादकों का हिस्सा 54.56 प्रतिशत है।
वहीं, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की जेनको का बकाया 22.43 प्रतिशत है।
सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में अकेले एनटीपीसी को ही डिस्कॉम से 4,298.32 करोड़ रुपये वसूलने हैं। उसके बाद एनपीसीआईएल कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र को 2,745.21 करोड़ रुपये, डीवीसी को 2,447.83 करोड़ रुपये और एनएलसी इंडिया को बिजली वितरण कंपनियों से 2,206.86 करोड़ रुपये वसूलने है।
निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में अडाणी पावर का बकाया 26,648.56 करोड़ रुपये, बजाज समूह की ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी का 4,966.09 करोड़ रुपये है।
वहीं गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों मसलन सौर और पवन ऊर्जा कंपनियों का बकाया 19,651.15 करोड़ रुपये है।
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