नयी दिल्ली, 31 अगस्त कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप और उसकी रोकथाम के लिये लगाए गए ‘लॉकडाउन’ से देश की नरमी में फंसी अर्थव्यवस्था पर और बुरा असर पड़ा है। सरकार की ओर से सोमवार को जारी सरकारी आंकड़े के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में अथर्व्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की अब तक की सबसे बड़ी तिमाही गिरावट आयी है।
इस दौरान कृषि को छोड़कर विनिर्माण, निर्माण और सेवा समेत सभी क्षेत्रों का प्रदर्शन खराब रहा है। सबसे अधिक प्रभाव निर्माण उद्योग पर पड़ा है। जो 50 प्रतिशत से भी अधिक गिरा है।
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राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इससे पूर्व वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिये 25 मार्च से पूरे देश में ‘लॉकडाउन’ (बंद) लगाया था। इसका असर अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर पड़ा है। विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में 2020-21 की पहली तिमाही में 39.3 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में इसमें 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
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हालांकि कृषि क्षेत्र में इस दौरान 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। एक साल पहले 2019-20 की पहली तिमाही में 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
निर्माण क्षेत्र में जीवीए वृद्धि में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 50.3 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। खनन क्षेत्र उत्पादन में 23.3 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले 2019-20 इसी तिमाही में 4.7 की वृद्धि हुई थी।
बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगी सेवा क्षेत्र में भी 2020-21 की पहली तिमाही में 7 प्रतिशत गिरावट आयी जबकि एक साल पहले 2019-20 की इसी तिमाही में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
आंकड़े के अनुसार व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से जुड़ी सेवाओं में आलोच्य तिमाही में 47 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
वित्तीय, रीयल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में 2020-21 की पहली तिमाही में 5.3 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में भी आलोच्य तिमाही में 10.3 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले 2019-20 की इसी तिमाही में इसमें 7.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
एनएसओ ने बयान में कहा, ‘‘स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी 2020-21 की पहली तिमाही में 26.90 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है है जो 2019-20 की पहली तिमाही में 35.35 लाख करोड़ रुपये था। यानी इसमें 23.9 प्रतिशत की गिरावट आयी है जबकि एक साल पहले 2019-20 की पहली तिमाही में इसमें 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।’’
बयान के अनुसार, ‘‘कोविड-19 महामारी पर अंकुश लगाने के इरादे से 25 मार्च से लोगों की आवाजाही समेत गैर-जरूरी आर्थिक गतिविधियों पर पाबंदी लगायी गयी।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि पाबंदी को धीरे-धीरे हटाया गया है, लेकिन उसका असर आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ आंकड़ा संग्रह व्यवस्था पर भी पड़ा।’’
बयान के अनुसार सांविधिक रिटर्न जमा करने की समयसीमा को ज्यादातर नियामकीय संगठनों से आगे बढ़ाया है।
एनएसओ ने कहा, ‘‘ऐसे हालात में सामान्य आंकड़ा स्रोत के बजाए जीएसटी जैसे वैकल्पिक आंकड़े, पेशेवर निकायों आदि का उपयोग किया गया। और ये सब स्पष्ट तौर पर सीमित रही हैं।’’
केंद्र ने केंद्र ने 20 अप्रैल से धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों को मंजूरी देनी शुरू की।
ज्यादातर रेटिंग एजेंसियों और विशेषज्ञों ने देश के जीडीपी में 2020-21 में गिरावट का अनुमान जताया है।
इस बीच, चीन की अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इससे पहले, जनवरी-मार्च, 2020 तिमाही में 6.8 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।
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