नयी दिल्ली, 24 अगस्त दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह विभिन्न कानूनों के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण के लिए एलजीबीटीक्यू जोड़ों की प्रार्थना पर छह दिसंबर को सुनवाई करेगा।
अदालत ने आज समयाभाव के कारण मामले में सुनवाई स्थगित कर दी। याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत से मामले में जल्द सुनवाई करने और जल्दी की तारीख देने का अनुरोध किया था।
हालांकि, मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा, ‘‘शाम के लगभग पांच बज गये हैं। सुनवाई छह दिसंबर के लिए स्थगित की जाती है। (इससे पहले की तारीख) संभव नहीं है, हमारे पास बहुत मामले हैं।’’
कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि कार्यवाही के इंटरनेट के माध्यम से सीधे प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) का आवेदन किया गया है और जल्द सुनवाई का अनुरोध रहेगा क्योंकि दोनों पक्ष इस मुद्दे के महत्व को समझते हैं।
केंद्र सरकार ने दलील का विरोध करते हुए कहा कि इस कार्यवाही के सीधे प्रसारण की सलाह नहीं दी जा सकती क्योंकि तीखे वैचारिक मतभेद उभर सकते हैं।
केंद्र ने कहा कि हाल में ऐसे मामले रहे हैं जिनमें पूरी तरह सीधा प्रसारण नहीं होने के बावजूद गंभीर अशांति पैदा हुई और उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीशों के खिलाफ अनावश्यक आरोप लगाये गये।
केंद्र ने 20 अगस्त को दाखिल अपने ताजा हलफनामे में कहा, ‘‘भलीभांति ज्ञात है कि न्यायाधीश वास्तव में सार्वजनिक रूप से अपना बचाव नहीं कर सकते और उनकी राय न्यायिक फैसलों में व्यक्त की जाती है।’’
उच्च न्यायालय ने पहले सीधे प्रसारण की याचिका का विरोध करते हुए केंद्र द्वारा दाखिल हलफनामे को लेकर निराशा प्रकट की थी जिसमें कुछ कथित आपत्तिजनक शब्द थे।
केंद्र ने ताजा हलफनामे में कहा कि मौजूदा कार्यवाही समेत अन्य कार्यवाहियां तीखी बहस वाली हो सकती हैं जिनमें दोनों पक्षों की ओर से दलीलें रखी जाएंगी तथा वकील या पीठ की ओर से कुछ दलीलों या टिप्पणियों पर तीव्र और अवांछित प्रतिक्रिया आ सकती है।
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