नयी दिल्ली, सात अप्रैल: सरकार ने शुक्रवार को नए मूल्य निर्धारण फॉर्मूले के तहत अप्रैल के बाकी दिनों के लिए प्राकृतिक गैस की कीमत 7.92 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (दस लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट) तय की है. हालांकि, उपभोक्ताओं के लिए दरें 6.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू पर सीमित कर दी गई हैं. यह भी पढ़ें: 7th Pay Commission: फिटमेंट फैक्टर पर आया बड़ा अपडेट, जानिए कब और कितनी बढ़ेगी सैलरी?
तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) ने एक आदेश में कहा कि आठ अप्रैल से 30 अप्रैल के लिए प्राकृतिक गैस की कीमत 7.92 अमेरिकी डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश ताप इकाई होगी.
यह कीमत आयातित कच्चे तेल की औसत लागत के 10 प्रतिशत मूल्य के आधार पर तय की गई है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हालांकि मूल्य निर्धारण फॉर्मूले में बदलाव करते हुए उपभोक्ताओं के लिए दरों को 6.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू पर सीमित कर दिया है। यह सीमा 31 मार्च 2025 तक दो वर्ष के लिए लागू होगी.
आदेश में कहा गया है, ''ओएनजीसी/ ओआईएल द्वारा उनके पुराने क्षेत्रों से उत्पादित गैस के लिए कीमत 6.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू की सीमा के अधीन होगी.'' नयी दरों, जो मौजूदा कीमतों से करीब एक-तिहाई कम हैं, से सीएनजी और पाइपलाइन के जरिए पहुंचने वाली रसोई गैस की कीमतों में 10 प्रतिशत तक कमी होगी.
इस फैसले के बाद दिल्ली में सीएनजी की कीमत 79.56 रुपये प्रति किलो से घटकर 73.59 रुपये प्रति किलो और पीएनजी की कीमत 53.59 रुपये प्रति हजार घन मीटर से घटकर 47.59 रुपये प्रति हजार घन मीटर हो जाएगी. मुंबई में सीएनजी की कीमत 87 रुपये की जगह 79 रुपये प्रति किलोग्राम और पीएनजी की कीमत 54 रुपये की जगह 49 रुपये प्रति हजार घन मीटर होगी.
मंत्रिमंडल ने एपीएम (कीमत निर्धारण व्यवस्था) गैस के लिए चार डॉलर प्रति एमएमबीटीयू के आधार मूल्य को मंजूरी दी है और अधिकतम मूल्य 6.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू रखने पर मुहर लगाई है. गैस मूल्य निर्धारण फॉर्मूले में बदलाव किरीट पारिख की अगुवाई में गठित एक समिति की सिफारिशों पर आधारित हैं.
पीपीएसी ने आदेश में कहा कि एक अप्रैल से सात अप्रैल तक एपीएम गैस की कीमत 9.16 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू होगी. उन्होंने बताया कि कीमतों का निर्धारण प्रत्येक महीने होगा, जबकि अब तक इनकी साल में दो बार समीक्षा की जाती थी.
अधिसूचना में कहा गया है, ''एपीएम की कीमतें महीने के आखिरी दिन पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ द्वारा मासिक आधार पर घोषित की जाएंगी.'' सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कीमतों की निगरानी करेगी कि सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में हुई कमी का लाभ उपभोक्ताओं को मिले.
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