नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल गैंगस्टर अंकित गुर्जर की मौत से जुड़े मामले में तिहाड़ जेल के पूर्व उपाधीक्षक नरेंद्र मीणा समेत अन्य जेल अधिकारियों के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान लिया है।
मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अंजनि महाजन ने अपने 28 अक्टूबर के आदेश में कहा कि आरोपपत्र और संलग्न दस्तावेजों को देखने से पता चलता है कि आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ लगाए गए आरोप और उपलब्ध सामग्री पहली नजर में मामले में आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त है।
इस मामले के आरोपी तत्कालीन सहायक अधीक्षक दीपक डाबास और राम अवतार मीणा, हेड वार्डर दिनेश चिकारा और वार्डर हरफूल मीणा एवं विनोद मीणा समेत नरेंद्र मीणा फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के मुताबिक आरोपियों ने अंकित गुर्जर (29) और दो अन्य बंदियों गुरजीत और गुरप्रीत की लात और पॉलीकार्बोनेट ‘लाठी’ से निर्ममतापूर्वक पिटाई की थी।
जांच एजेंसी ने कहा कि इसके बाद अंकित गुर्जर को उचित चिकित्सकीय देखरेख की सुविधा नहीं उपलब्ध कराई गई जिसके कारण उसकी चार अगस्त, 2021 को मौत हो गई।
सीबीआई ने कहा कि जांच के दौरान खून के दाग वाली सात लाठियां जेल से बरामद की गईं।
सीबीआई ने कहा, ‘‘जांच के दौरान फोरेंसिक परीक्षण भी किया गया। एफएसएल रिपोर्ट के मुताबिक दो पॉलीकार्बोनेट लाठियों पर जुटाए गये नमूनों से तैयार की गई डीएनए प्रोफाइल कैदी अंकित गुर्जर, गुरजीत और गुरप्रीत की मिस्रित डीएनए प्रोफाइल से मेल खाती पाई गई।’’
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