केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar) मार्ग के नाम से प्रसिद्ध धारचूला से लिपुलेख तक सड़क संपर्क का काम पूरा करने के लिये सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) (Border Roads Organisation) की शुक्रवार को सराहना की. इस मार्ग के पूरा हो जाने से कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों की यात्रा आसान हो जायेगी. रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण 80- किलोमीटर लंबाई वाली यह नयी सड़क उत्तराखंड में धारचुला के साथ लगती चीन सीमा पर 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रा को जोड़ती है.
इस परियोजना के पूरा होने से अब तीर्थयात्री अधिक ऊंचाई पर स्थित जानलेवा पैदल मार्ग से बच सकेंगे. इससे मानसरोवर यात्रा में लगने वाला समय भी कम होगा. अभी कैलाश मानसरोवर की यात्रा में सिक्किम या नेपाल के रास्ते लगभग दो से तीन सप्ताह लगते हैं. लिपुलेख मार्ग में ऊंचाई वाले इलाकों से होकर 90 किलोमीटर का पैदल मार्ग था और बुजुर्ग यत्रियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. अब, यह यात्रा वाहनों द्वारा पूरी हो जाएगी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को सड़क का उद्घाटन किया. उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पिथौरागढ़ से वाहनों के पहले काफिले को रवाना किया. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री गडकरी ने कहा, “मैं उत्तराखंड में 17,060 फीट की ऊंचाई पर स्थित कैलाश मानसरोवर मार्ग को लिपुलेख दर्रे के साथ सफलतापूर्वक जोड़ने के लिये सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को बधाई देता हूं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘सीमावर्ती गाँव पहली बार सड़कों से जुड़े हैं और कैलाश मानसरोवर के यात्री अब मुश्किल 90 किलोमीटर के पैदल मार्ग से बच सकते हैं तथा वाहनों में चीन की सीमा तक जा सकते हैं." मंत्री ने इससे पहले पीटीआई- से एक साक्षात्कार में कहा था कि इस परियोजना के अप्रैल तक पूरा होने की संभावना है.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)