नयी दिल्ली, एक सितंबर भारत से ऋग्वेद की पांडुलिपियां, ब्रिटेन से मैग्नाकार्टा की एक दुर्लभ प्रति और फ्रांस से ‘मोना लिसा’ की एक डिजिटल छवि यहां जी20 शिखर शिखर सम्मेलन स्थल पर 'संस्कृति गलियारा' में प्रदर्शित की जाने वाली कई कलाकृतियों में शुमार होंगी।
अमेरिका से ‘चार्टर्स ऑफ फ्रीडम’ की सत्यापित मूल प्रतियां, चीन से एक फहुआ ढक्कन वाला जार और भारत से पाणिनि की 'अष्टाध्यायी' कुछ अन्य वस्तुएं हैं, जो गलियारे का हिस्सा होंगी।
जी20 की भारत की अध्यक्षता के तहत संस्कृति मंत्रालय द्वारा ‘संस्कृति गलियारा - जी20 डिजिटल संग्रहालय’ की कल्पना की गई है।
इस 'फिजिटल (भौतिक और डिजिटल)' परियोजना का अनावरण नौ सितंबर को शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर भारत मंडपम में किया जाएगा।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘भारत की जी 20 अध्यक्षता का विषय ‘वसुधैव कुटुंबकम’ है और इस अंतरराष्ट्रीय परियोजना के साथ, हम इस बात का अनुकरण कर रहे हैं कि दुनिया एक परिवार है, क्योंकि हम इस ‘संस्कृति गलियारे’ के हिस्से के रूप में सभी 20 सदस्य देशों और नौ आमंत्रित देशों की सांस्कृतिक वस्तुओं को प्रदर्शित करेंगे। जी20 की विरासत परियोजना की कल्पना की गई है, एक 'निर्माणाधीन संग्रहालय' है।’’
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कलाकृतियों की प्रदर्शनी भौतिक और डिजिटल प्रारूप में उसी मंजिल पर की जाएगी, जहां नेताओं की बैठकें होंगी और वे शिखर कक्ष के अंदर और बाहर जाते समय इस ‘सांस्कृतिक गलियारे’ से गुजरेंगे।
अपने तरह की इस एक परियोजना के तहत भारत ने जी20 के प्रत्येक सदस्य और आमंत्रित देशों से कहा था कि वे चार श्रेणियों में चीजों को सौंपें-एक सांस्कृतिक महत्व की भौतिक वस्तु, एक डिजिटल प्रारूप में ‘प्रतिष्ठित सांस्कृतिक कृति’ और प्रत्येक देश की अमूर्त विरासत और प्राकृतिक विरासत को दर्शाने वाली उच्च-रिजॉल्यूशन वाली डिजिटल सामग्री।
सूत्र ने कहा कि परियोजना के लिए भौतिक वस्तुओं को सीमित अवधि के लिए उधार दिया गया है और इन्हें बाद में वापस कर दिया जाएगा।
शिखर सम्मेलन के तहत भारत मंडपम में 'लोकतंत्र की जननी' विषय पर एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जा रही है। 'संस्कृति गलियारा' परियोजना में पांचवां खंड जोड़ा गया है, जिसमें भौतिक या डिजिटल प्रारूप में ‘लोकतांत्रिक प्रथाओं से संबंधित प्राचीन कलाकृतियां’ इन देशों से मांगी गयी थीं।
एक अन्य सूत्र ने कहा कि चीन ने पहली चार श्रेणियों में ‘सुंदर कलाकृतियां’ दी हैं, लेकिन पांचवीं श्रेणी में अभी तक उससे कोई कलाकृति प्राप्त नहीं हुई है।
सूत्रों ने कहा कि भौतिक कलाकृतियां भारत आ चुकी हैं और वर्तमान में नयी दिल्ली स्थित एक स्थान पर संग्रहीत की जा रही हैं और अगले कुछ दिनों में इन्हें शिखर सम्मेलन के समय भारत मंडपम में प्रदर्शित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन के बाद यह प्रदर्शनी जनता के लिए खोली जाएगी, लेकिन इसकी समयसीमा क्या होगी और इसके टिकट होंगे या नहीं, इसके बारे में आने वाले समय में जानकारी दी जाएगी।
सांस्कृतिक महत्व की श्रेणी में भारत ने श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली से प्राप्त प्राचीन व्याकरण ग्रंथ पाणिनि के 'अष्टाध्यायी' को प्रदर्शित करने की पेशकश की है, जबकि लोकतांत्रिक प्रथाओं से संबंधित कलाकृतियों की श्रेणी में ऋग्वेद की पांडुलिपि को प्रदर्शित करने की पेशकश की है।
परियोजना के बारे में जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘ऋग्वेद की पांडुलिपि भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पुणे से ली गई है और इसे पूरी गरिमा के साथ प्रदर्शित किया जाएगा। वह श्लोक दिखाया जाएगा, जो मानवता को एक साथ आने की बात करता है।’’
प्रतिष्ठित सांस्कृतिक उत्कृष्ट कृति श्रेणी में, मध्य प्रदेश में लगभग 30,000 साल पुराने भीमभेटका के गुफा चित्रों को भारत की ओर से डिजिटल प्रारूप में प्रदर्शित किया जाएगा। भीमबेटका यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शामिल है।
भौतिक वस्तु की श्रेणी में, ब्रिटेन ने 1215 के मैग्नाकार्टा की एक प्रति भेजी है, दक्षिण अफ्रीका ने एक जीवाश्म खोपड़ी भेजी है, जिसका उपनाम ‘मिसेज प्लेस’ है।
सूत्रों ने कहा कि इटली ने 'बेल्वेडियर अपोलो' की एक मूर्ति प्रस्तुत की है, जबकि चीन ने फहुआ ढक्कन वाला जार पेश किया है।
उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रथाओं से संबंधित कलाकृतियों में, अमेरिकी सरकार द्वारा प्रमाणित ‘स्वतंत्रता के चार्टर की मूल प्रतियां’ अमेरिका साझा कर रहा है।
‘चार्टर्स ऑफ फ्रीडम’ अमेरिका के 18वीं शताब्दी के तीन ऐतिहासिक दस्तावेज़ों का उल्लेख करते हैं - संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वतंत्रता की घोषणा, संविधान और अधिकारों का विधेयक।
परियोजना के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि प्रतिष्ठित सांस्कृतिक उत्कृष्ट कृति श्रेणी में, चीन ने किंग राजवंश काल के गैंडे के आकार के वाइन जार का एक डिजिटल संस्करण प्रस्तुत किया है, जिस पर शाही दरबार का प्रतीक भी है।
फ्रांस से लियोनार्डो दा विंची की 16वीं शताब्दी की उत्कृष्ट कृति ‘मोना लिसा’ (जो पेरिस के लौवर संग्रहालय में है) को ‘एनामॉर्फिक डिजिटल प्रारूप’ में प्रदर्शित किया जाएगा।
एक सूत्र ने ‘पीटीआई-’ को बताया कि ‘एनामॉर्फिक प्रारूप’ का मतलब है कि दर्शक कला को 3डी रूप में देखेंगे, जैसे कि कोई इसे संग्रहालय में देख रहा हो।
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