कोलकाता, 11 जनवरी जी-20 नेताओं ने डिजिटल वित्तीय समावेश, कामगारों के बाहर से स्वदेश धन भेजने की लागत और लघु एवं मझोले उद्यमों के लिये कोष की उपलब्धता जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
कोलकाता में तीन दिन की बैठक में सदस्य और आमंत्रित देशों के प्रतिनिधियों तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अधिकारियों ने वित्तीय समावेश और उत्पादकता लाभ के लिये डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का लाभ उठाने पर विचार-विमर्श किया।
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग में आर्थिक सलाहकार चंचल सरकार ने कहा, ‘‘बाहर से धन भेजने की लागत को कम करने और इसके लिये नवोन्मेषी भुगतान सेवाओं की दिशा में प्रगति पर चर्चा हुई।’’
उन्होंने वित्तीय समावेश के लिये जी-20 की पहली वैश्विक साझेदारी बैठक के अंतिम दिन संवाददाताओं से कहा कि प्रतिनिधियों ने छोटे और मझोले उद्यमों के वित्तपोषण में आम बाधाओं को दूर करने को लेकर बेहतर गतिविधियों और नवोन्मेषीय उपायों पर भी गौर किया।
बैठक नौ जनवरी को शुरू हुई थी।
अधिकारी ने कहा कि सदस्य और आमंत्रित देशों ने वित्तीय समावेश कार्य योजना (एफआईएपी) 2020 के मामले में हुई प्रगति और इस क्षेत्र में आगे के रास्ते पर जानकारी साझा की।
बैठक के पहले दिन उन्होंने कहा था कि जी-20 नेताओं ने बाहर काम कर रहे कामगारों के स्वदेश धन भेजने की लागत को खासा महत्व दिया है और इसे 2027 तक औसतन तीन प्रतिशत पर लाने का प्रयास जारी है।
फिलहाल, धन भेजने की लागत प्रत्येक लेन-देन का करीब छह प्रतिशत है।
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