नयी दिल्ली, 11 नवंबर: दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में हर पांच में से चार परिवारों ने पिछले कुछ हफ्तों में प्रदूषण से संबंधित बीमारियों का सामना करने का दावा किया है. एक नये सर्वेक्षण से यह बात सामने आई है. ‘लोकलसर्किल’ के इस सर्वेक्षण में कुल 19,000 प्रतिभागी शामिल हुए, जिनमें से 18 फीसदी इन बीमारियों को लेकर डॉक्टर से संपर्क तक कर चुके हैं. जहरीली हवा में सांस लेना हुआ मुश्किल, गंभीर स्थिति में प्रदूषण; नहीं थम रहा पराली जलाने का सिलसिला.
सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि इसमें शामिल 80 फीसदी परिवारों के कम से कम एक सदस्य को वायु प्रदूषण के कारण श्वास संबंधी किसी न किसी समस्या से जूझना पड़ रहा है. सर्वे में दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के निवासियों से वायु प्रदूषण पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी. इसमें 63 प्रतिशत प्रतिभागी पुरुष थे.
इसमें कहा गया है, “दिल्ली-एनसीआर के हर पांच में से चार परिवारों में किसी न किसी को प्रदूषण संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. इनमें से 18 प्रतिशत पहले ही डॉक्टर या अस्पताल का रुख कर चुके हैं.”
बीमारी की प्रकृति से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए 80 प्रतिशत परिवारों ने कहा कि उनके सदस्य ‘प्रदूषण के कारण कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं’, जबकि सात फीसदी ने प्रदूषण के कारण कोई भी समस्या होने से पूरी तरह से इनकार किया.
तेरह प्रतिशत परिवार वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों से अछूते मिले, क्योंकि वे इस समय दिल्ली-एनसीआर में नहीं रह रहे हैं. बहरहाल, वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए कुछ लोग अस्थायी रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से बाहर चले गए हैं, जबकि क्षेत्र में रह रहे अधिकांश लोग खराब स्वास्थ्य के तौर पर इसका खामियाजा भुगत रहे हैं.
दिवाली से पांच दिन बाद जब इसी तरह का सवाल पूछा गया था, तब 70 फीसदी प्रतिभागियों ने शिकायत की थी कि उनके परिवार का कोई न कोई सदस्य प्रदूषण संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहा है.
पांच दिन के भीतर ऐसा कहने वाले लोगों की संख्या में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है, जबकि इस अवधि में 13 प्रतिशत प्रतिभागी अस्थाई रूप से दिल्ली-एनसीआर छोड़कर बाहर चले गए हैं. ‘लोकलसर्किल’ एक सामुदायिक सोशल मीडिया मंच है, जो शासन, सार्वजनिक प्रणाली और उपभोक्ताओं के हितों से जुड़े मुद्दों पर सर्वेक्षण करता है.
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