नयी दिल्ली, 21 नवंबर कांग्रेस ने केन्या सरकार द्वारा अदाणी समूह के साथ हुए कुछ समझौतों को रद्द किए जाने के बाद बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की विदेश नीति को किसी एक कारोबारी समूह के अधीन नहीं किया जा सकता और यह भविष्य में देश की "सॉफ्ट पावर" (सौम्य शक्ति) की छवि को धूमिल कर देगा।
केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने अदाणी समूह के साथ करोड़ों डॉलर के हवाई अड्डा विस्तार और ऊर्जा सौदे रद्द कर दिए हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ऐसा होने का अंदेशा था और आज यह हो गया। केन्या ने मोदानी समूह के हवाई अड्डे और पावर ट्रांसमिशन सौदे रद्द कर दिए हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि अदाणी समूह के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबंध विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हैं और यह भारत की विदेश नीति और विदेशों में आर्थिक हितों के लिए एक खतरनाक जोखिम पैदा करने वाला है।
रमेश का कहना है, ‘‘यहां याद रखना जरूरी है कि पूर्व केन्याई प्रधानमंत्री रेलो ओडिंगा ने स्वीकार किया है कि उन्हें एक दशक पहले गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इस कारोबारी से मिलवाया था। ओडिंगा पर अदाणी समूह के प्रति झुकाव के लिए हमला किया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह एकमात्र उदाहरण नहीं है। कल ही, ढाका में उच्च न्यायालय ने अदाणी के साथ बांग्लादेश के विवादास्पद बिजली ख़रीद समझौते की जांच का आदेश दिया है। जांच दो महीने में पूरी होनी है।’’
रमेश ने कहा, ‘‘हमारे देश की विदेश नीति को केवल एक कारोबारी समूह के हितों के अधीन नहीं किया जा सकता है। मोदानी के पसंदीदा सौदों से हमारी बदनामी होती है। यह विदेश नीति के लिए आपदा के जैसा है जो आने वाले वर्षों में हमारी ‘सॉफ्ट पावर’ की छवि को धूमिल कर देगा।’’
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