कोच्चि, 16 नवंबर केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि यदि कोई विदेशी संगठन भारत में सर्वेक्षण करना चाहता है, तो उसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति आवश्यक है।
उच्च न्यायालय ने यह निर्णय तिरुवनंतपुरम में 2010 में सर्वेक्षण करने के लिए एक भारतीय कंपनी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने संबंधी याचिका का निपटारा करते हुए दिया। पुलिस के अनुसार, इसका उद्देश्य ‘‘मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना’’ था।
यह सर्वेक्षण भारतीय कंपनी- टेलर नेल्सन सोफ्रेस (टीएनएस) पीएलसी- द्वारा अमेरिका स्थित प्रिंसटन सर्वे रिसर्च एसोसिएट्स (पीएसआरए) के लिए किया गया था।
न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने भारतीय कंपनी द्वारा अपने खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की याचिका खारिज करते हुए कहा कि यदि ऐसे सर्वेक्षण जारी रहने दिए गए तो वे "हमारे देश की सुरक्षा और महत्वपूर्ण रूप से धार्मिक सद्भाव को प्रभावित करेंगे"।
उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि यह "आश्चर्यजनक" है कि एक विदेशी कंपनी देश में "संदेहास्पद प्रश्नों के ढेर" के साथ सर्वेक्षण कर रही थी।
सर्वेक्षण को ‘‘संदेहास्पद’’ करार देते हुए अदालत ने चार नवंबर के अपने आदेश में कहा, ‘‘केंद्र सरकार को इसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए और यदि इस तरह के सर्वेक्षण करके हमारे देश की अखंडता को खत्म करने का कोई इरादा है, तो कानून के अनुसार उचित कदम उठाए जाने चाहिए।’’
अदालत ने यह भी कहा कि अभियोजक के तर्क में "दृढ़ता" है कि यदि संपूर्ण प्रश्नावली को देखते हैं तो पता चलता है कि यह (सर्वेक्षण) न केवल संवेदनशील और आपत्तिजनक था, बल्कि सर्वेक्षण के इरादे पर भी संदेह पैदा करता है।
इसने यह भी कहा कि इस मामले में इस तरह के सर्वेक्षण के लिए केंद्र सरकार से कोई मंजूरी नहीं थी।
उच्च न्यायालय का यह भी मत था कि मामले में राज्य पुलिस द्वारा की गई जांच पर्याप्त नहीं थी और उसने जांच अधिकारी को मामले में अब तक की गई जांच के बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) को एक रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया।
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