खेल की खबरें | ओलंपिक में सफलता के लिए अधिक लोगों के खेलों से जुड़ने की जरूरत: बिंद्रा

बेंगलुरू, 30 नवंबर अभिनव बिंद्रा का मानना है कि सिर्फ एलीट खिलाड़ियों में निवेश करने से भारत खेल महाशक्ति नहीं बनेगा और अगर देश को ओलंपिक में अपने पदकों की संख्या को दोहरे अंक में पहुंचाना है तो अधिक लोगों को खेलों से जुड़ना होगा।

भारत के शीर्ष खिलाड़ियों को पिछले कुछ समय में सरकार और कारपोरेट घरानों से काफी वित्तीय समर्थन मिला है और नतीजे बेहतर ही होंगे क्योंकि शीर्ष खिलाड़ियों को विदेशों में ट्रेनिंग का मौका मिल रहा है और वे शीर्ष सहयोगी स्टाफ के साथ काम कर रहे हैं।

बिंद्रा ने हालांकि कहा कि सिर्फ शीर्ष स्तर के खिलाड़ियों पर निवेश पर्याप्त नहीं होगा।

बिंद्रा ने यहां ‘आरसीबी इनोवेशन लैब लीडर्स मीट’ के दौरान कहा, ‘‘अगर आप 50 (ओलंपिक पदक) जीतना चाहते हैं तो यह सिर्फ एलीट (खिलाड़ियों) पर पैसा लगाने से नहीं होगा। इससे आपकी जनसंख्या का बहुत छोटा सा हिस्सा खेलों से जुड़ेगा इसलिए आपको खेलों से अधिक लोगों को जोड़ने की जरूरत पड़ेगी।’’

बीजिंग अेलंपिक 2008 की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा के स्वर्ण पदक विजेता बिंद्रा ने कहा कि भारत ऐसी स्थिति में है जहां खेलों को अब जन आंदोलन बनना चाहिए।

बिंद्रा ने कहा, ‘‘उम्मीद है कि इसका नतीजा यह होगा कि अधिक लोग खेलों से जुड़ेंगे इसलिए मेरा मानना है कि नजरिए में बदलाव की जरूरत है और ऐसा अभी होने की जरूरत है।’’

इस पूर्व विश्व चैंपियन ने यह भी कहा कि भारत को एक खेल राष्ट्र बनने के लिए एक ‘टिकाऊ’ और ‘आगे बढ़ते हुए पारिस्थितिकी तंत्र’ की जरूरत है जहां खेल को उच्च प्रदर्शन के संकीर्ण चश्मे से नहीं आंका जाए।

भारत ने 2022 तोक्यो ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था जहां उसने सात पदक जीते थे जिसमें नीरज चोपड़ा का भाला फेंक में स्वर्ण पदक भी शामिल था।

बिंद्रा ने कहा कि बड़ी प्रतियोगिताओं में भारत की सफलता का जश्न मनाने से बेहतर है कि देश खेलों का जश्न मनाए जिससे पारिस्थितिकी तंत्र में ‘वास्तविक बदलाव’ आ सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘युवाओं को खेल का आनंद लेने के लिए अधिक अवसर देना मेरे लिए अधिक महत्वपूर्ण तत्व है जिसे पूरी ओलंपिक परियोजना के लिए विकसित किया जाना है। नंबर दो बिंदु भविष्य के लिए एक अर्थव्यवस्था विकसित करना है। पूरे देश को भारत की सफलता का ही जश्न नहीं बल्कि खेलों का जश्न मनाने में भी शामिल होना चाहिए।’’

बिंद्रा ने 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी के भारत के प्रयासों पर कहा, ‘‘यदि आपके मन में वह बड़ा लक्ष्य है और आपके मन में यह अधिक समग्र विचार प्रक्रिया है तो मुझे लगता है कि आप एक दिलचस्प परियोजना लेकर आएंगे जो केवल दो सप्ताह के खेलों तक सीमित नहीं होगी बल्कि यह निर्धारित करेगी कि ओलंपिक खेल वास्तव में कैसे बदलाव में मदद कर सकते हैं।’’

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