COVID-19: बॉम्बे HC ने महाराष्ट्र सरकार से कहा, कैदियों के टीकाकरण के लिए केंद्र के निर्देशों का पालन करें
बॉम्बे हाई कोर्ट (Photo Credits: PTI)

मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Govt)  को जेल के कैदियों के टीकाकरण के लिए केंद्र सरकार की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का पालन करने का निर्देश दिया. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को जेल में डॉक्टरों और अन्य चिकित्साकर्मियों के रिक्त पदों को भी भरने का निर्देश दिया. पीठ स्वत: संज्ञान लिए गए एक मामला समेत कुछ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.  ये याचिकाएं महाराष्ट्र में जेल में कोविड-19 के प्रसार की रोकथाम से संबंधित हैं.

पिछले महीने की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने राज्य से पूछा था कि जिन कैदियों के पास आधार नहीं है उनका टीकाकरण किस तरह होगा. राज्य और केंद्र सरकार ने बुधवार को उच्च न्यायालय को बताया कि केंद्र द्वारा छह मई को जारी विस्तृत एसओपी के मुताबिक जिला कार्यबल को ऐसे लोगों के समूहों का कोविन पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए कहा गया है जिनके पास आधार कार्ड या अन्य पहचान पत्र नहीं हैं. केंद्र सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने अदालत से कहा कि इन दिशा-निर्देशों के आधार पर जेल में जिन कैदियों के आधार कार्ड नहीं हैं उनका भी टीकाकरण हो सकता है लेकिन उन्हें कोविन पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा. यह भी पढ़े: आगरा सेंट्रल जेल में 10 और कैदी कोरोना वायरस से संक्रमित, अलर्ट पर प्रशासन

वहीं, पीठ ने कहा कि नियमों के मुताबिक जेल में एमबीबीएस डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों समेत विभिन्न समूहों के चिकित्साकर्मियों की तैनाती होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि पुणे में यरवदा जेल में कुल 8,000 कैदी हैं लेकिन वहां एक भी डॉक्टर नहीं हैं. उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘महामारी को एक साल से ज्यादा समय हो चुका है। ऐसे समय में आप पहले से दबाव का सामना कर रहे सरकारी अस्पतालों पर निर्भर नहीं रह सकते। सभी जेलों में स्वीकृत पदों पर भर्ती होनी चाहिए. अदालत इन याचिकाओं पर अब 19 मई को सुनवाई करेगी.

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)