देश की खबरें | राजद के पांच एमएलसी ने पार्टी छोडी, रघुवंश ने उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया

पटना, 23 जून बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल :राजद: के पांच विधान परिषद सदस्यों के पार्टी से त्यागपत्र देकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दल जदयू का दामन थाम लिया है, वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजद को बड़ा झटका लगा है।

राजद में इस घटनाक्रम की शुरूआत कुछ इस तरह हुई... पार्टी के पांच विधान पार्षदों :एमएलसी: एस एम क़मर आलम, संजय प्रसाद, राधा चरण सेठ, रणविजय कुमार सिंह और दिलीप राय ने बिहार विधान परिषद के कार्यवाहक सभापति अवधेश नारायण सिंह से मंगलवार को उनके कक्ष में मुलाकात कर राजद से इस्तीफा देने की सूचना उन्हें दी, इसके बाद उन्हें अलग समूह के रूप में मान्यता देने और उस समूह का जदयू में विलय किए जाने की अनुमति उन्होंने मांगी, जो उन्हें मिल गई।

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राजद छोडने वाले इन एमएलसी के बाद उच्च सदन में जदयू की मुख्य सचेतक रीना यादव के अपनी पार्टी के सहमति पत्र के साथ कार्यवाहक सभापति अध्यक्ष से मुलाकात की जिसपर उन्होंने अपनी स्वीकृति दे दी।

पांच एमएलसी के पार्टी छोड़ने के बाद 75 सदस्यीय सदन में राजद के सदस्यों की संख्या महज तीन रह गयी है।

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सत्तारूढ़ राजग सूत्रों ने संभावना व्यक्त की है कि बिहार विधान परिषद में आवश्यक संख्या बल नहीं होने के कारण राजद प्रमुख लालू प्रसाद की पत्नी और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राबड़ी देवी सदन में नेता प्रतिपक्ष की अपनी कुर्सी गंवा सकती हैं।

इस बीच, कोविड-19 के कारण एम्स, पटना में भर्ती रघुवंश प्रसाद सिंह की पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफे की घोषणा ने राजद की और मुश्किलें बढा दी हैं।

बाहुबली से राजनेता बने रामा सिंह को राजद में शामिल किए जाने की चर्चा से आहत रघुवंश ने स्पष्ट किया कि वह पार्टी को नहीं छोड़ रहे हैं।

2014 के लोकसभा चुनाव में रामा सिंह ने रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के उम्मीदवार के तौर पर रघुवंश को वैशाली लोकसभा सीट हराया था ।

जदयू के राष्ट्रीय महासचिव और लोकसभा में नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने रघुवंश के इस्तीफे को लेकर राजद पर आरोप लगाया है कि पार्टी ने उन लोगों का कभी सम्मान नहीं किया जिन्होंने संगठन को सींचा है। यह दल केवल एक ही परिवार :लालू परिवार: के हितों को ध्यान में रखते आया है। अगर वह :रघुवंश: हमसे जुड़ना चाहते हैं, तो उनका स्वागत है ।

राजद में यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब बिहार विधान परिषद की नौ सीटों के लिए आगामी छह जुलाई को चुनाव होना है ।

242 सदस्यीय बिहार विधानसभा में सबसे अधिक 80 विधायकों वाली राजद इस चुनाव में अपने तीन उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का फैसला किया है। पार्टी द्वारा उम्मीदवारों के नामों की घोषणा किया जाना अभी बाकी है ।

हालाँकि, राजग में आपसी तालमेल के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू तीन उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी और भाजपा दो सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

राजद की अगुवाई वाली पांच दलीय महागठबंधन में भी कांग्रेस को एक सीट मिलने की उम्मीद है।

महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष जीतन राम मांझी की भी राजग में फिर से वापसी की अटकलें लगायी जा रहीं है ।

इस बीच, राजद में उथल-पुथल ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व में सहयोगी हिंदुस्तान अवाम मोर्चा को तिलमिला दिया, और दबंग साथी पर वापस वार करने का मौका दिया।

हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने राजद के घटनाक्रम पर कहा कि राजद अपने वफादार जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करने का नतीजा भुगत रहा है। इसे अपने तरीके से सुधार करना चाहिए और अपने स्वयं के लोगों के साथ महागठबंधन के अन्य सहयोगी दलों से सम्मान के साथ व्यवहार करना शुरू करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि राजद ने अगर अपने भीतर बदलाव नहीं किया तो एक दिन ऐसा आ सकता है कि जब यह दल अलग थलग पड जाएगा और इसमें लालू प्रसाद के परिवार के सदस्य ही होंगे।

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