नयी दिल्ली, 31 दिसंबर केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा नवंबर 2020 के अंत में 10.75 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया जो 2020-21 के बजट अनुमान का 135.1 प्रतिशत है। मुख्य रूप से कोरोना वायरस महामारी के बीच कारोबारी गतिविधियां प्रभावित होने से राजस्व संग्रह कम रहने के कारण राजकोषीय घाटा बढ़ा है।
इससे पहले, राजकोषीय घाटा नवंबर 2019 के अंत में 2019-20 के बजट अनुमान का 114.8 प्रतिशत था।
महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के ताजा आंकड़ों के अनुसार निरपेक्ष रूप से राजकोषीय घाटा नवंबर 2020 में 10,75,507 करोड़ रुपये रहा।
कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ के कारण व्यापार गतिविधियों पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है।
व्यय और राजस्व के बीच अंतर यानी राजकोषीय घाटा इस साल जुलाई में सालाना लक्ष्य से ऊपर निकल गया था।
सरकार की कुल प्राप्तियां नवंबर 2020 के अंत तक 8,30,851 करोड़ रुपये (2020-21 के बजट अनुमान का 37 प्रतिशत) रही। इसमें 6,88,430 करोड़ रुपये कर राजस्व (शुद्ध रूप से केंद्र को), 1,24,280 करोड़ रुपये गैर-कर राजस्व और 18,141 करोड़ रुपये गैर-ऋण पूंजी प्राप्ति है। गैर-ऋण पूंजी प्राप्ति में कर्ज वसूली और विनिवेश से प्राप्त राशि शामिल है।
कर राजस्व संग्रह 2020-21 के बजट अनुमान का 42.1 प्रतिशत रहा जो एक साल पहले 2019-20 की इसी अवधि में 45.5 प्रतिशत था। गैर-कर राजस्व बजटीय अनुमान का 32.3 प्रतिशत रहा जबकि 2019-20 में यह इस दौरान बजटीय अनुमान का 74.3 प्रतिशत था।
पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में कुल प्राप्तियां बजटीय अनुमान का 48.6 प्रतिशत थीं।
आंकड़ों के अनुसार भारत सरकार ने कर राजस्व में हिस्सेदारी के रूप में नवंबर 2020 तक 3.34 लाख करोड़ रुपये से अधिक राज्य सरकारों को स्थानांतरित किये।
महालेखा नियंत्रक के आंकड़ों के अनुसार सरकार द्वारा कुल व्यय 19,06,358 करोड़ रुपये या बजटीय अनुमान का 63 प्रतिशत रहा। कुल व्यय में 16,65,200 करोड़ रुपये राजस्व खाते में जबकि 2,41,158 करोड़ रुपये पूंजी खाते में खर्च हुए।
कुल राजस्व व्यय में 3.83 लाख करोड़ रुपये ब्याज भुगतान और 2,02,119 करोड़ रुपये सब्सिडी मद में खर्च हुए।
सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में राजकोषीय घाटा 7.96 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। हलांकि, कोरोना वायरस महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होने से इन आंकड़ों में संशोधन किये जाने की संभावना है।
वित्त वर्ष 2019-20 में राजस्व संग्रह कम रहने से राजकोषीय घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 4.6 पतिशत रहा था।
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