डब्ल्यूएफपी के प्रमुख डेविड बेस्ले ने एक साक्षात्कार में कहा कि नार्वे की नोबेल समिति उन कार्यों को देख रही थी जो एजेंसी संघर्ष में, आपदा में और शरणार्थी शिविरों में प्रतिदिन करती है। लाखों भूखे लोगों को भोजन मुहैया करवाने के लिए अपने कर्मचारियों की जिंदगी को जोखिम में डालती है.....साथ ही विश्व को यह संदेश भी देती है कि वहां हालत और खराब हो रहे हैं.....(और) अभी और काम किए जाने की जरूरत है।’’
बेस्ले ने पिछले महीने के पुरस्कार के बारे में कहा, ‘‘यह बहुत सही वक्त पर मिला। उन्होंने कहा कि अमेरिकी चुनाव और कोविड-19महामारी की खबरों की वजह से इसे ज्यादा तवज्जो नहीं मिली, साथ ही दुनिया भर का ध्यान उस परेशानी की ओर नहीं गया जिसका हम सामना करते हैं।’’
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उन्होंने सुरक्षा परिषद में अप्रैल माह में कही उस बात को याद किया कि विश्व एक ओर तो महामारी के जूझ रहा है और ‘‘यह भुखमरी के महामारी जैसे हालात के मुहाने पर भी खड़ा है ’’ और अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो हालात खराब हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हम इसे 2020 में टालने में सफल रहे क्योंकि वैश्विक नेताओं ने धन दिया, पैकेज दिए लेकिन जो धन 2020 में मिला वह 2021 में मिलने के आसार नहीं हैं, इस लिए वह लगातार नेताओं से इस बारे में बात कर रहे हैं और उन्हें आने वाले वक्त में खराब होने वाली परिस्थितियों के प्रति आगाह कर रहे हैं।
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एपी
शोभना मानसी
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