Farmers Protest: गाजीपुर सीमा पर आवाजाही निर्बाध रही, सिंघू तथा टिकरी पर प्रतिबंध
किसानों के दिल्ली कूच के दूसरे दिन बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की उत्तर प्रदेश के साथ लगने वाली गाजीपुर सीमा पर आवाजाही निर्बाध रही जबकि हरियाणा के साथ लगने वाली सिंघू एवं टिकरी सीमाओं पर यह पूर्ण रूप से बंद रहा।
नयी दिल्ली, 14 फरवरी: किसानों के दिल्ली कूच के दूसरे दिन बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की उत्तर प्रदेश के साथ लगने वाली गाजीपुर सीमा पर आवाजाही निर्बाध रही जबकि हरियाणा के साथ लगने वाली सिंघू एवं टिकरी सीमाओं पर यह पूर्ण रूप से बंद रहा. किसानों के आंदोलन के कारण राष्ट्रीय राजधानी में कड़ी सुरक्षा है और बड़ी संख्या में सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है. हरियाणा के साथ लगने वाली सीमा बिंदुओं पर तथा मध्य दिल्ली में आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए अवरोधक भी लगाए गए हैं.
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या नौ एवं 24 पर दिन में वाहनों की आवाजाही निर्बाध रही, ये दोनों राजमार्ग दिल्ली को गाजियाबाद तथा नोएडा और आगे मेरठ से जोड़ते हैं. पुलिस के अनुसार, दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाले डीएनडी फ्लाईवे पर दोनों तरफ भारी यातायात रहा. दिल्ली पुलिस ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "डीएनडी फ्लाईवे पर जांच के लिए कर्मियों की तैनाती के कारण दोनों ओर भारी यातायात रहा. नोएडा से दिल्ली और दिल्ली से नोएडा जाने वाले वाहन चालकों को चिल्ला बॉर्डर मार्ग की तरह वैकल्पिक मार्ग अपनाने की सलाह दी जाती है.''
किसानों के आंदोलन को विफल करने के लिए शहर के सीमा बिंदुओं गाजीपुर, सिंघू और टिकरी पर अवरोधक, कंक्रीट ब्लॉक, लोहे की कीलें और कंटेनर की दीवारें बनाई गई हैं. किसानों के कूच को रोकने के लिए सिंघू सीमा के पास एक गांव में सड़क का एक हिस्सा भी खोद दिया गया. पूर्वी दिल्ली के रहने वाले सक्षम मिश्रा ने कहा कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर यातायात की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं है. उन्होंने कहा, "मैं दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के जरिए इंदिरापुरम के एक अस्पताल में गया और वहां कोई प्रतिबंध नहीं था.
हालांकि, सीमा पर कड़ी सुरक्षा है." न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून तथा अपनी अन्य मांगों को लेकर किसान केंद्रीय मंत्रियों के एक दल के साथ बैठक बेनतीजा रहने के बाद दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने कहा कि किसान अपनी मांगों को स्वीकार कराने के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली जाएंगे. किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, पुलिस मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए 'न्याय' की भी मांग कर रहे हैं.
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