फगवाड़ा, 17 अक्टूबर पंजाब में विभिन्न संगठनों के बैनर तले किसानों ने हाल में लागू किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ शनिवार को प्रदर्शन किए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले जलाए।
उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह इन कानूनों को रद्द करने की प्रदर्शनकारियों की मांग को लेकर ‘‘अड़ियल रवैया’’ अपना रही है।
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विपक्षी दल कृषि क्षेत्र के तीन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि ये ‘‘किसान विरोधी कदम’’ है और ये कृषि क्षेत्र को ‘‘नष्ट’’ कर देंगे।
हालांकि सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों को बिचौलियों के चंगुल से आजाद कर देंगे और वे अच्छा दाम मिलने पर किसी भी स्थान पर अपनी फसल बेच सकते हैं।
किसानों ने इन कानूनों के खिलाफ फगवाड़ा, मुक्तसर, अमृतसर, पटियाला और बठिंडा समेत कई स्थानों पर शनिवार को प्रदर्शन किए, जिसके कारण यातायात बाधित हो गया।
किसान फगवाड़ा-होशियारपुर सड़क पर एकत्र हुए और उन्होंने मार्च निकाला। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री का पुतला फूंका और आरोप लगाया कि दिल्ली में कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक में उनके नेताओं का ‘‘अनादर’’ किया गया।
उल्लेखनीय है कि कई किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय कृषि सचिव के साथ इन कानूनों पर चर्चा के लिए दिल्ली में आयोजित बैठक से बुधवार को उस समय बहिर्गमन कर दिया था, जब उन्हें पता लगा था कि बैठक में कोई केंद्रीय मंत्री शामिल नहीं हुआ है।
बीकेयू (दोआबा) के महासचिव सतनाम सिंह साहनी ने फगवाड़ा में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हम पिछले तीन महीने से इन कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन केंद्र ने हमारी मांगों को अनसुना कर दिया है।’’
साहनी ने विरोध कर रहे किसान संगठनों के बीच मतभेद संबंधी खबरों को नकारते हुए कहा कि ‘‘किसान विरोधी’’ कानूनों के खिलाफ वे सभी एकजुट हैं।
इस बीच, किसान नेता मनजीत सिंह राय ने कहा, ‘‘यदि प्रधानमंत्री इस मामले में ईमानदार प्रयास करते हैं और स्वयं हस्तक्षेप करके विरोध कर रहे किसानों को आमंत्रित करते हैं, तो हम बातचीत के लिए जाएंगे।’’
लुधियाना में किसानों के एक समूह ने फिरोजपुर रोड पर एक होटल के बाहर उस समय प्रदर्शन किया, जब भाजपा की पंजाब इकाई के प्रमुख अश्विनी शर्मा के नेतृत्व में पार्टी इकाई की बैठक चल रही थी। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र के खिलाफ नारेबाजी की और तीन कृषि सुधार कानूनों को रद्द किए जाने की मांग की।
किसान पिछले कई दिनों से इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
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