गाजियाबाद/ नयी दिल्ली, 30 जनवरी महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर शनिवार को आंदोलनकारी किसान नेताओं ने दिल्ली की सीमाओं पर अनेक स्थानों पर दिनभर का अनशन किया।
पश्चिम उत्तर प्रदेश के कृषक समुदाय से बढ़ते समर्थन के बाद कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तेज होता दिख रहा है।
दिल्ली-मेरठ राजमार्ग पर गाजीपुर में किसानों की संख्या बढ़ गयी है और यह आंदोलन का नया केंद्र बिंदु बन गया है। किसान संघों के नेताओं ने दावा किया कि पंजाब और हरियाणा से भी प्रदर्शनकारी सिंघू और टीकरी सीमाओं की ओर बढ़ रहे हैं। इससे पहले 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के बाद यहां भीड़ छंट गयी थी।
राष्ट्रीय राजधानी में सिंघू, गाजीपुर और टीकरी सीमा क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित कर दी गयी हैं और प्रशासन सतर्कता बरत रहा है। हरियाणा में भी 14 जिलों में इंटरनेट सेवा बंद है।
बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है जिनमें दंगा नियंत्रण पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवान शामिल हैं। प्रदर्शनस्थलों पर अवरोधकों को अनेक स्तर पर लगाया गया है।
गणतंत्र दिवस पर हिंसा के बाद शनिवार को ‘सद्भावना दिवस’ मनाने का आह्वान करने वाले किसान नेताओं ने मंचों पर बैठकर धरना दिया। वे फूलमाला पहने हुए थे। इस दौरान बड़ी संख्या में समर्थक भी जुटे। खासतौर पर गाजीपुर में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जमा हो रहे हैं जहां भारतीय किसान यूनियन प्रदर्शन की अगुवाई कर रहा है।
गाजीपुर में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि वे दो महीने से अधिक समय से यह लड़ाई लड़ रहे हैं और वे अब पीछे नहीं हटेंगे। टिकैत की भावनात्मक अपील के बाद प्रदर्शन स्थल पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से बड़ी संख्या में लोग जुटना शुरू हो गये।
भाकियू के मेरठ क्षेत्र के अध्यक्ष पवन खटाना ने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘आंदोलन मजबूत था और अब भी है।’’
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