फरीदाबाद (हरियाणा), 27 नवंबर फरीदाबाद के एक सेवानिवृत्त वायुसेना अधिकारी से जालसाजों ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का अधिकारी बनकर पांच लाख रुपये की ठगी की और उन्हें 55 घंटे तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ किया। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी।
पीड़ित आदित्य कुमार झा (55) वायुसेना से सेवानिवृत्त ‘सार्जेंट’ हैं और वर्तमान में पंजाब नेशनल बैंक में लिपिक पद पर कार्यरत हैं।
हरियाणा चुनाव ड्यूटी से लौटने के एक दिन बाद छह अक्टूबर को झा को एक अज्ञात नंबर से सुबह लगभग 9:50 बजे ‘वीडियो कॉल’ आया, जब उनकी पत्नी और बेटा दिल्ली के झंडेवालान मंदिर में थे।
पुलिस ने बताया कि फोन करने वालों में से एक ने खुद को ट्राई का अधिकारी बताते हुए झा से कहा कि उनका मोबाइल नंबर दो घंटे में निष्क्रिय कर दिया जाएगा, क्योंकि किसी ने दिल्ली में उनके आधार विवरण का उपयोग करके सिम कार्ड प्राप्त कर लिया है और उस नंबर से जुए के संदेश भेजे जा रहे हैं।
इस बीच, दूसरे जालसाज ने खुद को सीबीआई का पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) विजय कुमार बताते हुए दावा किया कि झा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है, जिससे वह और अधिक चिंतित हो गए।
झा ने अपनी शिकायत में कहा, ‘‘फोन करने वाले ने मुझे दो घंटे के भीतर सीबीआई के दिल्ली कार्यालय पहुंचने का निर्देश दिया। जब मैंने इनकार कर दिया, तो उसने मुझे बताया कि मेरे खिलाफ 6.68 करोड़ रुपये से जुड़ा धन शोधन का मामला दर्ज किया गया है और मुझ पर किसी नवाब मलिक के साथ मामले में शामिल होने का आरोप लगाया।’’
पुलिस ने बताया कि इसके बाद आरोपियों ने झा के बैंक खाते का विवरण मांगा और उन्हें ‘‘डिजिटल अरेस्ट’’ करके रखा तथा चेतावनी दी कि वे वीडियो कॉल को नहीं काटे, अन्यथा वे उनके परिवार के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
‘‘डिजिटल अरेस्ट’’ एक प्रकार की साइबर धोखाधड़ी है, जिसमें धोखाधड़ी करने वाले कानून प्रवर्तन (ईडी) अधिकारी या सरकारी अधिकारी बनकर ऑडियो या वीडियो कॉल के माध्यम से पीड़ितों को धमकाते हैं और उन्हें पैसे देने के लिए मजबूर करते हैं।
जालसाजों ने झा को धन शोधन की जांच के नाम पर एक बैंक खाते में कुछ रकम हस्तांतरित करने का निर्देश दिया। पुलिस ने बताया कि जब रकम उनके खाते में नहीं पहुंची तो उन्होंने झा को बिहार के मधुबनी में अपने बैंक की गृह शाखा में जाने को कहा।
झा ने फोन नहीं काटा और ट्रेन से बिहार चले गए, जहां उन्होंने निर्देशानुसार खाते में 5.03 लाख रुपये हस्तांतरित कर दिए।
संदेह तब पैदा हुआ जब झा के एक रिश्तेदार ने उसी नंबर पर कॉल करने का प्रयास किया, जिससे उन्हें आठ अक्टूबर को शुरुआती फोन आया था, हालांकि उस नंबर पर फोन नहीं लगा। इसके बाद रिश्तेदार ने दिल्ली में झा के बेटे को इसकी जानकारी दी, जो बिहार पहुंचा और अपने पिता को वापस फरीदाबाद ले गया।
इसके बाद पीड़ित ने यहां साइबर अपराध सेंट्रल पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराई।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि पैसे कई अलग-अलग बैंक खातों में हस्तांतरित किए गए थे। उन्होंने कहा कि मामले में जांच की जा रही है।
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