नयी दिल्ली, 23 सितंबर सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी एवं दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ के तत्कालीन मुखिया करनल सिंह ने कहा है कि 2008 में इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादियों के साथ बटला हाउस में हुई मुठभेड़ को फर्जी ठहराने के लिए नेताओं, कार्यकर्ताओं और मीडिया के एक तबके ने ‘‘झूठी खबरों’’ और ‘‘सड़क पर उड़तीं अफवाहों’’ का सहारा लिया।
केंद्रशासित क्षेत्र कैडर के 1984 बैच के अधिकारी रहे सिंह ने दक्षिणी दिल्ली के जामिया नगर में बटला हाउस इलाके में स्थित एल-18 मकान में 19 सितंबर 2008 को हुई मुठभेड़ पर ‘बटला हाउस: एंन इन्काउंटर दैट शुक द नेशन’ शीर्षक से किताब लिखी है।
किताब रूपा पब्लिकेशंस ने प्रकाशित की है।
सिंह पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ के मुखिया एवं संयुक्त पुलिस आयुक्त के रूप में 2008 के दिल्ली बम विस्फोटों की जांच का नेतृत्व कर रहे थे।
विस्फोट स्थल से मिले सुरागों ने जांच की दिशा बटला हाउस की तरफ मोड़ दी जहां इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी छिपे थे।
बटला हाउस इलाके में टोह लेने गए पुलिसकर्मियों तथा आतंकवादियों के बीच मुइभेड़ हो गई जिसमें दो आतंकवादी मारे गए और विशेष प्रकोष्ठ में शामिल इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए।
प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के रूप में 2018 में सेवानिवृत्त हुए सिंह ने इस मुठभेड़ के बारे में पीटीआई- से बात की।
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