विदेश की खबरें | फेसबुक के सॉफ्टवेयर किट की वजह से कई ऐप हुए थे क्रैश

इन ऐप्स के लगातार क्रैश होने के पीछे फेसबुक के सॉफ्टवेयर किट को जिम्मेदार माना जा रहा है और यह एक बार फिर याद दिलाता है कि इस अत्याधनिक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर फेसबुक आपके फोन के जरिए आप पर नजर रख रहा है, तब भी जब आप सोशल नेटवर्क को ब्राउज नहीं कर रहे हैं।

शुक्रवार सुबह उपयोगकर्ताओं ने इन ऐप को खोलते ही उनके क्रैश हो जाने की शिकायत की थी। फेसबुक ने इस समस्या के लिए उसके सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किट (एसडीके) में एक बग को बताया जिसे कुछ ही समय में ठीक कर दिया गया था। एसडीके ऐसा उपकरण है जिसका इस्तेमाल डेवलपर अपने ऐप को फेसबुक के साथ एकीकृत करने के लिए करते हैं।

यह भी पढ़े | भारतीय अमेरिकी शख्स लगातार पांचवी बार GOP सम्मेलन के लिए प्रतिनिधि निर्वाचित.

इन सभी ऐप में लॉग इन करने के लिए उपयोगकर्ता अपने फेसबुक एकाउंट से जुड़ी जानकारियों का उपयोग करते हैं। फेसबुक के अलावा गूगल, एप्पल और दूसरी कम्पनियां भी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किट डेवलपर्स को उपलब्ध कराती हैं।

इसके जरिए ऐप डेवलपर्स अपने ऐप से फेसबुक को डेटा भेजते हैं जो यह पता लगाता है कि उपयोगकर्ता इन ऐप्स पर क्या-क्या गतिविधि करते हैं। यह जानकारी ऐप डेवलपर्स और फेसबुक दोनों के लिए उपयोगी है जिससे वे यह समझ पाते हैं कि उपयोगकर्ताओँ विज्ञापनों पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, उनकी सेवा का उपयोग कैसे करते हैं और इस पर कितना समय खर्च करते हैं।

यह भी पढ़े | TikTok को मोबाइल फोन से हटाने के निर्देश वाला ईमेल कर्मचारियों को गलती से गया: अमेजन.

मार्च में, वीडियो कॉलिंग सेवा जूम ने एसडीके का उपयोग करके फेसबुक के साथ उपयोगकर्ता की जानकारी साझा की थी जिसके लिए कैलिफोर्निया में उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

फेसबुक के एसडीके के कारण मई महीने में भी कई ऐप क्रैश हुए थे। कंपनी ने शुक्रवार को अपने बयान में कहा कि फेसबुक के एसडीके का इस्तेमाल करने वाले कुछ आईओएस ऐप्स कोड में बदलाव के कारण क्रैश हुए।”

शुक्रवार को हुए क्रैश के दौरान कई उपयोगकर्ता फेसबुक का इस्तेमाल कर इन ऐप्स पर लॉगइन भी नहीं थे।

एपी

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)