विशेषज्ञों ने कोविड की दूसरी लहर के दौरान बच्चों के नियमित टीकाकरण में भारी गिरावट पर चिंता जताई
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

नयी दिल्ली, 12 जून: कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान बच्चों के नियमित टीकाकरण में भारी गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बच्चों में उन बीमारियों का खतरा हो सकता है जिनका टीके से बचाव संभव है. उनका कहना है कि यह समस्या एक संभावित चुनौती के रूप में फिर से उभर सकती है. अधिकारियों के अनुसार, देशभर में एक वर्ष से कम उम्र के अनुमानित 20 लाख से 22 लाख बच्चों का हर महीने राष्ट्रीय कार्यक्रमों के तहत टीकाकरण किया जाता है, और प्रति वर्ष बच्चों की यह संख्या लगभग 260 लाख होती है. स्वास्थ्यकर्मियों ने कहा है कि कई माता-पिता अपने बच्चों को इस समय डीटीपी, न्यूमोकोकल, रोटावायरस और एमएमआर (खसरा, कण्ठमाला और रूबेला) जैसी बीमारियों के खिलाफ नियमित टीकाकरण के लिए लाने से डरते हैं.

कोलंबिया एशिया अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ सुमित गुप्ता ने कहा कि टीकाकरण में एक या दो महीने की देरी हो सकती है, लेकिन बच्चों में सही समय पर प्रतिरक्षा की सही मात्रा का निर्माण करने के लिए अनिवार्य टीके निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार दिए जाने चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘हमने दूसरी लहर (कोविड की) के दौरान देखा है कि लगभग 60 प्रतिशत बच्चें टीकाकरण से चूक गये है, जो पिछले साल से अधिक है. लोग अस्पताल आने से डरते हैं, कुछ टीकाकरण से इसलिए चूक गए क्योंकि वे लॉकडाउन के कारण यात्रा नहीं कर सके.’’

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उन्होंने ‘पीटीआई-’ से कहा, “लगभग सभी टीके, जिनमें अनिवार्य (डीटीपी और एमएमआर) और वैकल्पिक (मुख्य रूप से हेपेटाइटिस ए, टाइफाइड और चिकन पॉक्स) टीके शामिल हैं, दोनों वर्षों में लॉकडाउन अवधि के दौरान गिरावट देखी गई. जबकि हम टीकाकरण में एक या दो महीने की देरी कर सकते हैं, सही समय पर प्रतिरक्षा की सही मात्रा का निर्माण करने के लिए अनिवार्य टीकों को लगवाया जाना चाहिए.’’