नयी दिल्ली, 12 अप्रैल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को दिल्ली की एक अदालत को बताया कि कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया ने यह दिखाने के लिए गढ़े हुए ई-मेल भिजवाये थे कि नीति को जनता की स्वीकृति है।
एजेंसी ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए विशेष न्यायाधीश एम. के. नागपाल के समक्ष यह दलील दी।
ईडी के वकील ने अदालत से कहा, ‘‘हमारे पास यह दिखाने के लिए सबूत हैं कि सिसोदिया ने ई-मेल भिजवाये थे। ये ईमेल न केवल आबकारी विभाग के आधिकारिक ईमेल अकाउंट पर बल्कि उनके व्यक्तिगत ई-मेल अकाउंट पर भी प्राप्त हुए हैं। ईमेल की सामग्री सिसोदिया द्वारा दी गई थी जो उनके एजेंडे के अनुकूल थी।’’
ईडी ने अदालत को बताया कि ये पहले से गढ़े हुए ये ईमेल भेजने के निर्देश दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जाकिर खान को दिए गए थे, जिन्होंने बाद में अपने ‘इंटर्न’ से ये ईमेल भेजने के लिए कहा था।
अधिवक्ता ने कहा, ‘‘गढ़े हुए ईमेल यह दिखाने के लिए भेजे गए थे कि नीति को जनता की स्वीकृति है। यह एक दिखावटी स्वीकृति है...रिश्वत के बदले शराब उत्पादक समूहों को लाभ पहुंचाने के लिए अवैध पारिस्थितिकी तंत्र बनाया गया था।’’
ईडी के विशेष लोक अभियोजक ने तब न्यायाधीश से कहा कि एजेंसी उन्हें ‘केस डायरी’ दिखाना चाहती है, जिस पर बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि ऐसा गोपनीयता के लिहाज से नहीं किया जाना चाहिए।
बचाव पक्ष के वकील ने कहा, ‘‘यह सीलबंद लिफाफे में दी जानी चाहिए। यदि मुझे मेरी आजादी से वंचित करने के लिए मेरे खिलाफ किसी चीज का इस्तेमाल किया जाता है...वह मुझे भी मुहैया कराया जाना चाहिए।’’
हालांकि, ईडी ने कहा कि आरोपी की गिरफ्तारी के बाद उसके खिलाफ जांच पूरी करने के लिए जांच एजेंसी को दी गई 60 दिनों की अवधि खत्म नहीं हुई है।
ईडी ने कहा, ‘‘हम इसे 60 दिनों के बाद आपके सामने रखेंगे।’’
न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई 18 अप्रैल के लिए स्थगित कर दी।
ईडी ने पांच अप्रैल को दिल्ली की एक अदालत को बताया था कि मामले में सिसोदिया के खिलाफ धनशोधन की जांच एक "महत्वपूर्ण" चरण में है और उसे उनकी मिलीभगत के नए सबूत मिले हैं।
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