नयी दिल्ली, 29 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की याचिका पर पांच अगस्त को सुनवाई करेगा। याचिका में उन्होंने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में जमानत देने का आग्रह किया है।
यह मामला न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पीठ को बताया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सिसोदिया की याचिका पर जवाब दाखिल कर दिया है, लेकिन वह रिकॉर्ड पर नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का जवाबी हलफनामा तैयार है और इसे जल्द ही दाखिल कर दिया जाएगा।
राजू ने सिसोदिया की दलीलों पर शुरुआती आपत्तियां भी उठाईं और कहा कि यह दिल्ली उच्च न्यायालय के एक ही आदेश को चुनौती देने वाली दूसरी विशेष अनुमति याचिका है।
विधि अधिकारी ने कहा, “एक ही आदेश को दो बार चुनौती नहीं दी जा सकती है।”
सिसोदिया ने इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 मई के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थी। उन्होंने दोनों मामलों में उनकी जमानत याचिकाएं खारिज करने के निचली अदालत के 30 अप्रैल के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
शराब नीति मामले में सिसोदिया की कथित भूमिका को लेकर उन्हें 26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।
ईडी ने उन्हें नौ मार्च 2023 को सीबीआई की प्राथमिकी से निकले धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था।
सुनवाई के दौरान राजू ने शीर्ष अदालत के चार जून के आदेश का हवाला दिया, जिसमें सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया गया था।
हालांकि शीर्ष अदालत ने कहा था कि ईडी और सीबीआई द्वारा अपने-अपने आरोप पत्र दाखिल करने के बाद सिसोदिया जमानत के लिए अपनी याचिका फिर से दायर कर सकते हैं।
सिसोदिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने सोमवार को राजू की दलीलों को “चौंकाने वाला” करार दिया और कहा कि एक अभियोजक का ऐसा कहना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
इसके बाद विधि अधिकारी ने शीर्ष अदालत के 30 अक्टूबर 2023 के आदेश का हवाला दिया, जिसमें उन्हें दोनों मामलों में जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने सिसोदिया को यह छूट दी थी कि अगर परिस्थितियों में कोई बदलाव होता है या मुकदमा लंबा खिंचता है तो वे राहत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
सोमवार की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा 30 अक्टूबर के आदेश में निर्धारित अवधि समाप्त हो चुकी है और मामले की सुनवाई गुण-दोष के आधार पर की जा सकती है।
पीठ ने कहा, “इस मामले की सुनवाई गुण-दोष के आधार पर होनी चाहिए। हमें दो चरणों में सुनवाई क्यों करनी चाहिए, एक अंतरिम और एक अंतिम।” पीठ ने मामले की अगली सुनवाई पांच अगस्त के लिए निर्धारित कर दी।
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