पुणे, चार सितंबर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि दुनिया के बाकी हिस्सों में पनपने वाली ‘‘बुरी ताकतों’’ का पतन भारत में होता है।
वह सद्गुरु समूह द्वारा आयोजित ‘वेदसेवक सम्मान सोहाला’ को संबोधित कर रहे थे, जिसमें अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के दौरान 16 महीने तक वेदों के ‘अनुष्ठान’ (पाठ) में भाग लेने वाले 200 गुरुजी लोगों को सम्मानित किया गया।
भागवत ने कहा, ‘‘बुरी ताकतें दुनिया भर में मौजूद हैं, और उनके बुरे काम हर जगह जारी हैं। बांग्लादेश पहला मामला नहीं है। पहला मामला अमेरिका का है। मैंने एक अमेरिकी लेखक द्वारा लिखी गई किताब पढ़ी जिसका शीर्षक है ‘कल्चरल डेवलपमेंट ऑफ अमेरिका’, जिसमें उन्होंने पिछले 100 वर्षों में अमेरिका के सांस्कृतिक पतन पर चर्चा की है।’’
संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘यह पतन पोलैंड में दोहराया गया, फिर अरब देशों में ‘अरब क्रांति’ के रूप में, और हाल ही में यह बांग्लादेश में हुआ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग दुनिया पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं और मानते हैं कि वे ही सही हैं, जबकि अन्य गलत हैं, ऐसी अभिमानी प्रवृत्तियां लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना चाहती हैं और इससे लाभ उठाना चाहती हैं।’’
भागवत ने कहा कि ऐसी प्रवृत्तियों के कारण ‘‘आपदाएं’’ आती हैं और राष्ट्र बर्बाद हो जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें बिना किसी डर के ऐसी प्रवृत्तियों पर नजर रखने की जरूरत है। इतिहास बताता है कि ऐसी ताकतें उभरती हैं और अंततः भारत तक पहुंचती हैं और यहां उनका पतन होता है।’’
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अनास्था और अश्रद्धा बढ़ रही है, खासकर शिक्षित वर्ग में, क्योंकि उनके पास अनुकरण करने के लिए कोई उदाहरण नहीं है।
उन्होंने कहा कि अस्पृश्यता का शास्त्रों में कोई स्थान नहीं है, लेकिन यह व्यवहार में मौजूद है।
उन्होंने पूछा, ‘‘अगर कोई हिंदू धर्म के ऐसे अड़ियल व्यवहार से तंग आकर दूसरे धर्म में धर्मांतरण करता है, तो इसके लिए किसे दोषी ठहराया जाए।’’
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