नयी दिल्ली, नौ मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से कहा कि वह अपनी फार्मेसी से दवा वितरण अविलंब शुरू करे जो कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से सीमित क्षमता में काम कर रही है।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने एम्स से तौर-तरीकों पर काम करने और सुनवाई की अगली तारीख 14 मई से पहले अनुपालन रिपोर्ट दायर करने को कहा।
आदेश एक जनहित याचिका पर आया जिसमें दावा किया गया है कि उपचार के लिए बाहर से आए गैर-कोरोना वायरस रोगियों को लॉकडाउन की वजह से अस्पताल की फार्मेसी से अब दवा नहीं मिल रही।
याचिकाकर्ता रचना मलिक ने दावा किया कि मरीज बाहर से भी दवा नहीं खरीद सकते क्योंकि उनके ओपीडी कार्ड पर दवा वितरण की अनुमति देने वाला परामर्श नहीं है क्योंकि एम्स की ओपीडी कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से बंद है।
एम्स ने अदालत को बताया कि उसकी फार्मेसी छह मई से पूरी तरह काम कर रही है और यह सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक खुलती है।
इसने अदालत को यह भी बताया कि वह कोई तरीका निकालेगा जिससे कि ऐसे सभी मामलों में मरीजों को फार्मेसी से दवा प्राप्त हो सके जिनमें दवा लगातार खाने का परामर्श होता है।
पीठ ने कहा, ‘‘एम्स द्वारा एक दिन के भीतर तौर-तरीकों पर काम किया जाना चाहिए जिससे कि फार्मेसी से दवाओं का वितरण अविलंब शुरू हो सके।’’
मामले की अगली सुनवाई 14 मई को होगी।
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