देश की खबरें | पिलाटस विमान धनशोधन मामले में कई शहरों में ईडी की छापेमारी
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, सात अगस्त प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2009 में भारतीय वायु सेना के लिए 75 पिलाटस प्रशिक्षण विमानों की खरीद में कथित भ्रष्टाचार से जुड़े धनशोधन मामले में शुक्रवार को विभिन्न शहरों में कई परिसरों पर छापे मारे।

अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी दिल्ली में कई और गुरुग्राम एवं सूरत में एक-एक स्थान समेत कम से कम 14 परिसरों पर छापे मार रही है।

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उन्होंने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने सौदे की जांच के लिए धनशोधन का मामला दर्ज किया है और वह यह कार्रवाई धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत साक्ष्य एकत्र करने के लिए कर रही है।

यह मामला फरार चल रहे हथियार ‘कंसल्टेंट’ संजय भंडारी से जुड़ा हुआ है जो देश-विदेश में कथित तौर पर अघोषित संपत्ति रखने और भ्रष्टाचार के मामले में पहले से ही सीबीआई और ईडी की अलग-अलग जांच का सामना कर रहा है।

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समझा जाता है कि भंडारी फिलहाल ब्रिटेन में है और ईडी उसके खिलाफ प्रत्यर्पण की कार्रवाई शुरू करने वाला है।

सीबीआई ने पिछले साल जून में 2,895 करोड़ के पिलाटस सौदे में आपराधिक मामला दायर किया था।

ईडी ने इस शिकायत का संज्ञान लिया और वह धनशोधन तथा आरोपियों द्वारा कथित तौर पर अवैध संपत्ति बनाए जाने की दृष्टि से जांच कर रही है।

सीबीआई ने स्विट्जरलैंड की कंपनी पिलाटस एयरक्राफ्ट लिमिटेड, रक्षा मंत्रालय व भारतीय वायु सेना के अज्ञात अधिकारियों और भंडारी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। 2009 में हुए इस करार के लिए स्विस कंपनी बोली लगाने वाली कंपनियों में से एक थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया कि पिलाटस ने ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशन प्रा. लिमिटेड के निदेशकों भंडारी और बिमल सरीन के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचा और जून 2010 में भंडारी के साथ सेवा प्रदाता समझौते पर फर्जी तरीके से हस्ताक्षर किए जो रक्षा खरीद प्रक्रिया, 2008 का उल्लंघन था।

यह भारतीय वायु सेना को 75 ट्रेनर विमान की आपूर्ति के लिए करार हासिल करने की खातिर कथित तौर पर किया गया।

एजेंसी ने आरोप लगाया कि कंपनी ने अगस्त और अक्टूबर, 2010 में दो बार में ऑफसेट इंडिया सोल्यूशन प्राइवेड लिमिटेड के स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक खाते में 10,00,000 सीएचएफ (स्विस मुद्रा) का भुगतान किया।

इसके अलावा, भंडारी की दुबई स्थित कंपनी ऑफसेट इंडिया सोल्यूशन्स एफजेडसी के बैंक खातों में 2011 से 2015 के बीच स्विस फ्रांक (स्विस मुद्रा) के रूप में 350 करोड़ रुपये भी जमा कराए गए।

सीबीआई का आरोप है कि पिलाटस ने बेइमानी और धोखाधड़ी से 12 नवंबर, 2010 को रक्षा मंत्रालय के साथ संविदा पूर्व सत्यनिष्ठा का समझौता किया और जानबूझकर भंडारी के साथ हुए सेवा प्रदाता समझौते के तथ्यों को छिपाया।

सीबीआई ने सौदे की शुरुआती जांच शुरू करने के तीन साल बाद प्रथामिकी दर्ज करने के दौरान कहा कि जांच दिखाती है कि पिलाटस ने भारत और दुबई में भंडारी की कंपनियों को किए गए भुगतान कथित तौर पर छिपाए।

सीबीआई ने कहा कि उसे संदेह है कि यह राशि खरीद से जुड़े भारतीय वायु सेना, रक्षा मंत्रालय और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों को कथित तौर पर प्रभावित करने के लिए दी गई।

पिलाटस को यह करार 24 मई, 2012 में 2,895.63 करोड़ रुपये में मिला था।

सीबीआई ने कहा, “ऑफसेट इंडिया सोल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड और भंडारी और उसकी पत्नी की अन्य भारतीय कंपनियों को दीपक अग्रवाल की विभिन्न कंपनियों से भंडारी द्वारा प्रदान की गई नकदी के बदले जून 2012 से मार्च, 2015 के दौरान 25.5 करोड़ रुपये मिले।”

सीबीआई ने आरोप लगाया, “पहले से ही पक्का संदेह है कि उपर्युक्त विशाल राशि करार हासिल करने के लिए पिलाटस एयरक्राफ्ट्स लिमिटेड द्वारा भंडारी को कमीशन के रूप में दी गई राशि का हिस्सा हैं।”

सीबीआई ने भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों, आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी के लिए भंडारी के अलावा, उसकी कंपनियों- ऑफसेट इंडिया सोल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड, ऑफसेट इंडिया सोल्यूशन्स एफजेडसी, यूएई, सहित कई अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

ईडी ने भंडारी के खिलाफ पीएमएलए के तहत दो अन्य मामले भी दर्ज किए हैं और विदेशी संपत्ति तथा अघोषित संपत्ति बनाने के आरोप में कुछ महीनों पहले उसके खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया था।

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