नयी दिल्ली, 24 सितंबर महंगा होने की वजह से कम आयात के कारण कम आपूर्ति (शॉर्ट सप्लाई) की स्थिति से देश के तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को कच्चे पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन के दाम मजबूत हो गये। कम आपूर्ति की वजह से सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम भी मजबूत बंद हुए। दूसरी ओर मंडियों में सरसों की आवक बढ़ने से सरसों तेल-तिलहन के दाम में गिरावट आई। ऊंचे दाम पर कम कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन तथा बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
बाजार सूत्रों ने कहा कि पाम, पामोलीन का जो स्टॉक पाइपलाइन में था, कारोबारियों ने उसमें से कुछ स्टॉक का निपटान पहले ही कर दिया। सोयाबीन से महंगा होने के कारण पाम, पामोलीन का आयात भी कम हो रहा है। ऐसे में कम स्टॉक की वजह से पाम एवं पामोलीन तेल बंदरगाहों पर 4-5 रुपये प्रीमियम के साथ बिक रहा है। इतने प्रीमियम के साथ पहले ऐसी कोई बिक्री होती नहीं देखी गई।
उन्होंने कहा कि कम आपूर्ति की ही वजह से सोयाबीन तेल भी लगभग तीन रुपये के प्रीमियम के साथ बिक रहा है। इस वजह से पाम, पामोलीन के साथ सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम में सुधार आया।
उन्होंने कहा कि सरकार ने आयातित खाद्य तेलों के मुकाबले देशी तेल-तिलहनों को प्रतिस्पर्धी बनाये रखने के लिए गतिशील शुल्क ढांचे लगाने के बारे में सोच रही है यानी सरकार की कोशिश है कि आयातित तेल, देशी तेल-तिलहन से प्रतिस्पर्धी कीमत पर बने रहें। सूत्रों ने कहा कि इस काम को काफी पहले से अपनाया जाना चाहिये था और इससे देश के तेल उद्योग, तिलहन किसान और सभी अंशधारकों को फायदा होता।
सूत्रों ने कहा कि प्रति व्यक्ति खाद्य तेलों की खपत कम होती है और इस वजह से इसका महंगाई पर खास असर नहीं आता लेकिन इसके बाकी और फायदे हैं। इससे तेल-तिलहनों के खपने की स्थिति रहती है, तिलहन किसान लाभान्वित होंगे, तेल मिलें चलेंगी, खाद्य तेलों के आयात के लिए कम विदेशी मुद्रा खर्च करनी होगी, सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी। दुग्ध उद्योग के लिए सस्ता खल प्राप्त होगा आदि जैसे तमाम और फायदे हैं।
सूत्रों ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमसपी) पर कपास नरमा खरीदने वाली मिलों के बिनौला खल का भाव 3,900-4,000 रुपये क्विंटल बैठता है और बाजार में नकली बिनौला खल 3,100-3,200 रुपये क्विंटल है। ऐसे में कपास किसानों को कपास नरमा के भाव कम मिलेंगे और भविष्य में कपास उत्पादन प्रभावित हो सकता है। इससे कपास किसान, दूध उत्पादन करने वाले किसान और बिनौला तेल उद्योग को नुकसान है। इस पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 6,575-6,625 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,350-6,625 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,100 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,270-2,570 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,800 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,155-2,255 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,155-2,270 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,850 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 11,600 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,150 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,250 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 12,400 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,800-4,850 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,575-4,710 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,225 रुपये प्रति क्विंटल।
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