नए साल के मौके पर हजारों लोगों को नशे की हालत में गाड़ी चलाते हुए पकड़ा जाता है. भारत में ड्रिंक एंड ड्राइव एक गंभीर समस्या है, जिसके चलते 2022 में चार हजार से ज्यादा मौतें हुईं. जानिए कैसे रह सकते हैं सुरक्षित.देश के बड़े शहरों की पुलिस नए साल के स्वागत की तैयारियों में जुटी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मौके पर अकेले दिल्ली में ही करीब 20 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे. इनकी जिम्मेदारी होगी कि यातायात उल्लंघन और गुंडागर्दी का घटनाएं ना हों. भीड़भाड़ वाले इलाकों में कानून व्यवस्था बनी रहे. इसके अलावा, शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले लोगों को पकड़ने पर भी विशेष जोर रहेगा. इसकी जांच के लिए 27 ट्रैफिक चेकपॉइंट बनाए गए हैं.
मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई आदि शहरों की पुलिस ने भी इसके लिए पुख्ता व्यवस्था की है. साथ ही लोगों से अपील की है कि नए साल के जश्न के बाद शराब पीकर गाड़ी ना चलाएं वरना उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. दरअसल, बड़ी संख्या में लोग नए साल का जश्न मनाने के लिए क्लब, होटल और रेस्त्रां जैसी जगहों पर जाते हैं. कई मामलों में लोग जश्न मनाने के बाद शराब के नशे में गाड़ी चलाते हुए घर लौटते हैं, जिस वजह से दुर्घटनाएं होती हैं. इसे रोकने के लिए ही पुलिस इतने इंतजाम कर रही है.
हैदराबाद में पकड़े गए थे तीन हजार लोग
पिछले साल न्यू ईयर ईव के दौरान हजारों लोगों को नशे की हालत में बाइक या कार चलाते हुए पकड़ा गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसे सबसे ज्यादा मामले हैदराबाद में सामने आए थे जहां तीन हजार से ज्यादा लोगों को पकड़ा गया था. वहीं, दिल्ली में इस दौरान करीब 360 और मुंबई में करीब 300 लोगों को नशे की हालत में गाड़ी चलाते हुए पकड़ा गया था. जिसके बाद इन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
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नशे में वाहन चलाने वाले लोगों पर मोटर व्हीकल (संशोधन) एक्ट, 2019 के तहत कार्रवाई की जाती है. आमतौर पर 'ब्रेथ-एनालाइजर' के जरिए चालकों में अल्कोहल का स्तर जांचा जाता है. इसकी कानूनी सीमा प्रति 100 मिलीलीटर खून में 30 मिलीग्राम अल्कोहल है. अगर किसी चालक में अल्कोहल का स्तर इससे ज्यादा पाया जाता है, तो माना जाता है कि वह नशे की हालत में वाहन चला रहा है.
पहली बार ऐसा करते पाए जाने पर दस हजार रुपए तक का जुर्माना, छह महीने की जेल और ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित हो सकता है. दूसरी बार में 15 हजार रुपए तक का जुर्माना, दो साल तक की जेल और लंबे समय के लिए ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित हो सकता है. नाबालिगों के लिए शराब पीकर गाड़ी चलाना पूरी तरह से अवैध होता है. ऐसी स्थिति में उनके अभिभावकों या गाड़ी के मालिक पर कानूनी कार्रवाई होती है.
कितनी बड़ी है ड्रिंक एंड ड्राइव की समस्या
नशे में गाड़ी चलाना खतरनाक होता है क्योंकि एक तय मात्रा से ज्यादा शराब पीने पर सोचने-समझने की शक्ति कमजोर हो जाती है. शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है. प्रतिक्रिया करने की रफ्तार धीमी पड़ सकती है. इसके अलावा, जुबान लड़खड़ाने लगती है और धुंधला दिखने लगता है . इस दौरान व्यक्ति भ्रमित हो सकता है और अपना होश भी गंवा सकता है.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय हर साल ‘भारत में सड़क दुर्घटनाएं' नाम से एक रिपोर्ट जारी करता है. इसकी आखिरी रिपोर्ट में 2022 के आंकड़े बताए गए थे. इसके मुताबिक, साल 2022 में नशे की हालत में वाहन चलाने की वजह से 10 हजार से ज्यादा हादसे हुए, जिसमें चार हजार से ज्यादा लोगों की जान गई. वहीं, 2021 में इस वजह से नौ हजार से ज्यादा हादसे हुए थे, जिसमें करीब 3,300 लोगों की जान गई थी.
आईआईटी दिल्ली के ट्रांसपोर्टेशन रिसर्च एंड इंजरी प्रिवेंशन सेंटर ने रोड सेफ्टी इन इंडिया-2023 रिपोर्ट जारी की थी. इसमें कहा गया था कि भारत में होने वाली 30 से 40 फीसदी घातक दुर्घटनाओं में शराब एक वजह हो सकती है. इसे ज्यादा गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है. हालांकि, परिवहन मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, नशे में वाहन चलाने की वजह से होने वाले हादसे, कुल हादसों के करीब दो से ढाई फीसदी ही हैं.
क्या है ड्रिंक एंड ड्राइव को रोकने का उपाय
कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग (सीएडीडी) ने पिछले साल दिल्ली में एक सर्वे किया था. इसमें 30 हजार लोगों से सड़कों पर उनके व्यवहार और अनुभव के बारे में पूछा गया था. इस सर्वे में शामिल करीब 80 फीसदी लोगों ने माना था कि उन्होंने नशे की हालत में गाड़ी चलाई है. इसमें दोपहिया और चारपहिया दोनों तरह के वाहन चलाने वाले लोग शामिल थे. इससे पता चलता है कि शराब पीकर गाड़ी चलाने की समस्या कितनी व्यापक है.
फ्लाइट में शराब क्यों नहीं पीनी चाहिए
आईआईटी दिल्ली ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि इसे रोकने के लिए गाड़ियों में अल्कोहल लॉक लगाए जाएं. यूरोपीय संघ की रोड सेफ्टी वेबसाइट के मुताबिक, अल्कोहल इंटरलॉक एक तरह की स्वचालित नियंत्रण प्रणाली होती हैं. इसमें वाहन के अंदर एक 'ब्रेथ-एनालाइजर' लगा हुआ होता है. वाहन चालू करने से पहले चालक को इसमें फूंक मारनी होती है. इसके बाद, अगर चालक के खून में तय मात्रा से ज्यादा अल्कोहल पाया जाता है तो गाड़ी चालू ही नहीं होती है. स्वीडन में इस तकनीक का काफी इस्तेमाल होता है.
इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया में अल्कोहल इंटरलॉक प्रोग्राम लागू किया गया है. इसके तहत, शराब पीकर गाड़ी चलाने की वजह से जिन लोगों का लाइसेंस निलंबित होता है, उन्हें अपना लाइसेंस वापस पाने के लिए इस प्रोग्राम को पूरा करना होता है. इसके लिए, उन्हें अपनी गाड़ी में अल्कोहल इंटरलॉक लगवाना होता है और हर बार अपनी सांस की जांच करवानी होती है. कोई उल्लंघन ना होने की स्थिति में कुछ दिनों बाद यह प्रोग्राम खत्म हो जाता है. जानकारों का मानना है कि इस तरह के प्रोग्राम भारत में भी लागू किए जा सकते हैं.