नयी दिल्ली, 17 अप्रैल उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) का लक्ष्य अगले चार महीनों में देश की लॉजिस्टिक लागत की एक स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करना है ताकि इस बारे में अनुमानों पर ही निर्भर न रहना पड़े।
फिलहाल सरकार कुछ अनुमानों के ही आधार पर काम कर रही है। इन अनुमानों के मुताबिक, भारत की लॉजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 13-14 प्रतिशत है।
डीपीआईआईटी में विशेष सचिव सुमिता डावरा ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि देश में लॉजिस्टिक लागत तय करने का प्रारूप बनाने के लिए गठित कार्यबल दो महीने में अपनी रिपोर्ट देगा।
उन्होंने कहा कि दो महीने में उन्हें ढांचा मिल जाएगा और फिर गणना में दो महीने और लगेंगे। उन्होंने कहा, "करीब चार महीने में हमारे पास एक अनुमान होना चाहिए। यही हमारा लक्ष्य है।"
अधिकारी ने कहा कि वर्तमान में देश के भीतर लॉजिस्टिक लागत संबंधी अनुमानों में फर्क हैं। मसलन, एनसीएईआर ने लगभग आठ प्रतिशत जीडीपी की लागत बताई है जबकि एक अन्य अनुमान इसे 13-14 प्रतिशत बताता है।
इस कार्यबल के सदस्यों में नीति आयोग, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर), विशेषज्ञ और अन्य संबंधित पक्ष शामिल हैं।
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