जरुरी जानकारी | अर्थव्यवस्था को दोहरी राहत.. खुदरा महंगाई घटी, औद्योगिक उत्पादन 14 महीने के उच्च स्तर पर

नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बृहस्पतिवार को दोहरी राहत मिली। खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में तीन महीने के निचले स्तर 5.02 प्रतिशत पर आ गयी जबकि औद्योगिक उत्पादन अगस्त में 14 महीने के उच्च स्तर 10.3 प्रतिशत पर पहुंच गया।

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार मुख्य रूप से सब्जियों के दाम घटने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित (सीपीआई) मुद्रास्फीति सितंबर में घटकर 5.02 प्रतिशत रही जो इससे पिछले महीने अगस्त में 6.83 प्रतिशत थी।

खुदरा महंगाई दर में कमी आने के बावजूद यह अभी भी केंद्रीय बैंक के चार प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर है। जून महीने में यह 4.81 प्रतिशत रही थी।

महंगाई दर में यह गिरावट खाने का सामान, पेय पदार्थ, ईंधन और रोशनी खंडों की महंगाई में उल्लेखनीय कमी आने से आई है।

इस दौरान मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति 4.7 प्रतिशत रही जो फरवरी, 2020 के बाद सबसे कम है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में से खाद्य, पेय और ईंधन तथा रोशनी क्षेत्रों को हटाने पर मुख्य मुद्रास्फीति प्राप्त की जाती है।

एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में खाने के सामान की कीमतें घटने से खाद्य मुद्रास्फीति 6.56 प्रतिशत पर आ गई जबकि अगस्त में यह 9.94 प्रतिशत थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं की हिस्सेदारी करीब आधी है।

रकबा कम होने और देश में दलहन उत्पादन में कमी से दाल के दाम में तेजी है जबकि अनाज की महंगाई लगातार दहाई अंक में बनी हुई है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह लगातार चौथी बार नीतिगत दर को यथावत रखा और साफ किया कि उसका लक्ष्य महंगाई को चार प्रतिशत पर लाना है।

सब्जियों के मामले में महंगाई दर सितंबर में घटकर 3.39 प्रतिशत पर आ गई जो अगस्त में 26.14 प्रतिशत थी।

दूसरी तरफ, विनिर्माण, खनन और बिजली क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से देश में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि अगस्त में 14 महीने के उच्चतम स्तर 10.3 प्रतिशत पर रही। उपयोग आधारित वर्गीकरण के तहत छह में से तीन क्षेत्रों में दहाई अंक में वृद्धि दर्ज की गयी है।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के जरिये आंकी जाने वाली औद्योगिक उत्पादन वृद्धि जुलाई में छह प्रतिशत रही थी जबकि पिछले साल अगस्त में इसमें 0.7 प्रतिशत की गिरावट आई थी।

इससे पहले, जून, 2022 में औद्योगिक उत्पादन में सबसे ज्यादा 12.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में अगस्त में 9.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 14 महीने का उच्च स्तर है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार आलोच्य महीने में खनन उत्पादन 12.3 प्रतिशत बढ़ा। वहीं बिजली उत्पादन में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

उपयोग-आधारित वर्गीकरण के अनुसार, पूंजीगत सामान खंड में इस साल अगस्त में 12.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो पिछले साल अगस्त में 4.3 प्रतिशत थी।

त्योहरों के दौरान मांग अधिक रहने की उम्मीद में भंडारण बढ़ने का असर उपभोक्ता वस्तुओं पर देखा जा रहा है। गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में अगस्त में नौ प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं टिकाऊ उपभोक्ता सामान के मामले में वृद्धि दर 3.5 प्रतिशत रही।

संचयी रूप से देखा जाए तो चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों अप्रैल-अगस्त के दौरान आईआईपी वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही।

आंकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया में एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च में मुख्य अर्थशास्त्री सुमन चौधरी ने कहा कि आईआईपी में वृद्धि का रुख वित्त वर्ष 2023-24 में जारी रहने की उम्मीद है। हालांकि दूसरी छमाही में तुलनात्मक आधार अनुकूल नहीं होगा।

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति में व्यापक गिरावट रही लेकिन खानपान की वस्तुओं और ईंधन खंड ने इसमें अहम भूमिका निभाई।

हालांकि नायर ने कहा, "खाद्य मुद्रास्फीति अब भी ऊंचे स्तर पर है। मानसून के असमान वितरण, दालों एवं तिलहन फसलों की बुवाई में देरी और जलाशयों में औसत जल-स्तर से खाद्य मुद्रास्फीति के लिए परिदृश्य अच्छा नहीं दिख रहा है।’’

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