नयी दिल्ली, 16 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि अंतरिम उपाय के तौर पर कर्नाटक गायक टी. एम. कृष्णा को एम एस सुब्बुलक्ष्मी पुरस्कार के प्राप्तकर्ता के रूप में मान्यता नहीं दी जाए।
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने सुब्बुलक्ष्मी के पोते वी श्रीनिवासन की याचिका पर यह आदेश पारित किया। श्रीनिवास ने आरोप लगाया था कि कृष्णा ने दिवंगत गायिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी।
पीठ ने कहा, “ अदालत के संज्ञान में है कि एम एस सुब्बुलक्ष्मी को सभी क्षेत्रों के संगीत प्रेमियों से कितना सम्मान मिलता है। वह सबसे प्रतिष्ठित गायिकाओं में से एक हैं। भले ही दिसंबर 2004 में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी मधुर आवाज उनके प्रशंसकों को बहुत आनंदित करती है।”
शीर्ष न्यायालय ने कहा, “चूंकि पुरस्कार पहले ही दिया जा चुका है, इसलिए एक अंतरिम उपाय के रूप में हम यह कहना उचित समझते हैं कि चौथे प्रतिवादी टी.एम. कृष्णा को एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी पुरस्कार के प्राप्तकर्ता के रूप में मान्यता नहीं दी जाए।“
श्रीनिवासन ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें शहर स्थित संगीत अकादमी द्वारा कृष्णा को पुरस्कार प्रदान करने पर रोक लगाने संबंधी अंतरिम आदेश को खारिज कर दिया गया था।
पीठ ने कृष्णा, संगीत अकादमी, ‘द हिंदू’ और टीएचजी पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
यह आदेश तब पारित किया गया जब अतिरिक्त महाधिवक्ता एन. वेंकटरमन ने कहा कि यह एक असाधारण मामला है क्योंकि कृष्णा ने कथित तौर पर सुब्बुलक्ष्मी को बदनाम करने वाले लेख लिखे थे।
सुब्बुलक्ष्मी के पोते श्रीनिवासन ने कृष्णा को संकिता कलानिधि एम एस सुब्बुलक्ष्मी पुरस्कार दिए जाने को चुनौती देते हुए एक मुकदमा दायर किया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि कृष्णा ने सोशल मीडिया पर उनकी दादी के खिलाफ ‘‘घृणित, अपमानजनक और निंदनीय हमले’’ किए और उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल किया, इसलिए उन्हें यह पुरस्कार नहीं दिया जाना चाहिए।
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