नयी दिल्ली, 16 सितंबर उच्चतम न्यायालय कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और हत्या की घटना के संबंध में शुरू की गई स्वत: संज्ञान याचिका पर मंगलवार को सुनवाई कर सकता है।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट के मुताबिक, यह स्वत: संज्ञान याचिका प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष मंगलवार को सुनवाई के लिए पहली याचिका के रूप में सूचीबद्ध है।
इस याचिका पर सुनवाई इसलिए अहम है, क्योंकि शीर्ष अदालत के पश्चिम बंगाल में आंदोलनरत चिकित्सकों को राज्य सरकार की दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए 10 सितंबर को शाम पांच बजे तक काम पर लौटने का निर्देश देने के बावजूद डॉक्टरों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। राज्य सरकार ने दावा किया है कि चिकित्सकों के काम पर न आने के कारण पश्चिम बंगाल में नौ सितंबर तक 23 मरीजों की मौत हो चुकी है। नौ सितंबर को मामले पर आखिरी सुनवाई हुई थी।
इस बीच, पश्चिम बंगाल सरकार ने गतिरोध खत्म करने के लिए प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों को सोमवार को “पांचवीं और आखिरी बार” बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। प्रस्तावित बैठक के लाइव प्रसारण के मुद्दे पर मतभेद के कारण सरकार और प्रदर्शनकारी चिकित्सकों के बीच बातचीत की कोशिश दो दिन पहले विफल हो गई थी।
प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों को भेजे एक ईमेल में राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत ने उनसे वार्ता के लिए सोमवार को शाम पांच बजे कालीघाट स्थित मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर पहुंचने के लिए कहा।
ममता ने 14 सितंबर को प्रदर्शन स्थल का दौरा कर आंदोलनकारी चिकित्सकों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया था। उन्होंने डॉक्टरों को उनकी मांगें मानने का भरोसा दिलाने की कोशिश की, बावजूद इसके दोनों पक्षों में बातचीत की कोशिश अभी तक सफल नहीं हो पाई है।
शनिवार को प्रस्तावित बैठक विफल हो गई, क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि मुख्यमंत्री आवास के द्वार पर तीन घंटे तक इंतजार करने के बाद उनसे ‘अमर्यादित रूप से’ वहां से जाने के लिए कहा गया था। सरकार द्वारा बातचीत के सीधे प्रसारण की मांग को ठुकराए जाने के कारण डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश करने से इनकार कर दिया था।
जूनियर डॉक्टरों के लगातार विरोध और बड़े पैमाने पर जन आक्रोश के बीच प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने उसके समक्ष पेश किए गए रिकॉर्ड में ‘चालान’ की गैर-मौजूदगी पर नौ सितंबर को चिंता जताई थी, जो उस प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजे जाने के संबंध में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज था, जिसकी आरजी कर अस्पताल में कथित तौर पर बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी।
पीठ ने इस संबंध में पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट तलब की थी। उसने प्रदर्शनकारी चिकित्सकों को राज्य सरकार की दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए 10 सितंबर को शाम पांच बजे तक काम पर लौटने का निर्देश भी दिया था।
शीर्ष अदालत के निर्देश के बाद राज्य सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने आश्वासन दिया था कि अगर प्रदर्शनकारी डॉक्टर काम पर लौटते हैं तो उनके खिलाफ तबादला सहित कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
उच्चतम न्यायालय के निर्देश का अनुपालन न होने के मद्देनजर मंगलवार को प्रस्तावित सुनवाई पर करीबी नजर रहेगी।
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