नयी दिल्ली, 20 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु में मूर्ति चोरी के मामलों में पुलिस के कब्जे से प्राथमिकी से संबंधित 41 फाइलों के गायब होने की घटनाओं को चौंकाने वाला बताते हुए राज्य सरकार से इस पर स्पष्टीकरण मांगा है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार के गृह विभाग के सचिव को हलफनामा दायर करने और सरकार का रुख स्पष्ट करने के लिए 31 जनवरी, 2025 को वस्तुतः उपस्थित रहने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने पाया कि 41 में से 27 फाइलें मिल गईं और 11 मामलों में नयी प्राथमिकी दर्ज की गईं।
पीठ ने कहा, ‘‘जैसे ही आप नयी प्राथमिकी दर्ज करते हैं, यह आरोपी के लिए बचाव का एक तरीका बन जाता है। नयी प्राथमिकी कैसे दर्ज की जा सकती है ।’’
याचिकाकर्ता एलीफेंट जी राजेंद्रन की ओर से पेश हुए वकील जी एस मणि ने कहा कि चोरी कई साल पहले हुई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन मूर्तियों की कीमत 300 करोड़ रुपये से अधिक है। इन मामलों में कोई प्रगति नहीं हुई है। यह घोर लापरवाही है।’’
शीर्ष अदालत ने इस संबंध में फरवरी, 2023 में राज्य के गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती आयुक्त और मूर्ति चोरी शाखा के प्रमुख अतिरिक्त डीजीपी को नोटिस जारी किया था।
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