मुंबई, 29 जुलाई भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने सोमवार को कहा कि वित्तीय क्षेत्र में डिजिटलीकरण से अगली पीढ़ी की बैंकिंग का रास्ता खुल रहा है।
उन्होंने कहा कि इससे सस्ती लागत पर वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बेहतर हो रही है।
गवर्नर ने 2023-24 के लिए मुद्रा और वित्त (आरबीएफ) पर रिपोर्ट की प्रस्तावना में यह भी कहा कि प्रमुख एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) ने अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए खुदरा भुगतान अनुभव में क्रांति ला दी है। इससे लेन-देन तेज और अधिक सुविधाजनक हो गया है।
डिजिटल मुद्रा क्षेत्र में रिजर्व बैंक ई-रुपी, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) के पायलट परीक्षण के साथ सबसे आगे है।
डिजिटल ऋण पारिस्थितिकी तंत्र ओपन क्रेडिट इनेबलमेंट नेटवर्क, डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क और सुविधाजनक कर्ज के लिए सार्वजनिक प्रौद्योगिकी मंच जैस पहलों के साथ मजबूत हो रहा है।
उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) कंपनियां ऋण सेवा प्रदाताओं के रूप में बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के साथ सहयोग कर रही हैं। वे डिजिटल ऋण की सुविधा के लिए मंच भी संचालित कर रहे हैं।
दास ने कहा, ‘‘वित्तीय क्षेत्र में डिजिटलीकरण से अगली पीढ़ी की बैंकिंग का रास्ता खुल रहा है, सस्ती लागत पर वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में सुधार हो रहा है, और लाभार्थियों को लागत-कुशल तरीके से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण बढ़ रहा है।’’
उन्होंने कहा कि ये सभी नवाचार वित्तीय बाजारों को अधिक कुशल और एकीकृत बना रहे हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)