नयी दिल्ली, 29 दिसंबर वाणिज्य मंत्रालय ने घरेलू उत्पादकों को संरक्षण देने के उद्देश्य से कृत्रिम चमड़ा और अन्य तकनीकी वस्त्र उत्पाद बनाने में इस्तेमाल होने वाले पीवीसी पेस्ट रेजिन के आयात पर चीन समेत छह देशों से पांच साल के लिए 707 डॉलर प्रति टन तक डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश की है।
मंत्रालय की एक इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने अपने निष्कर्षों में कहा है कि छह देशों- चीन, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, नॉर्वे, ताइवान और थाइलैंड की कुछ कंपनियों द्वारा भारत को ‘पॉली विनाइल क्लोराइड पेस्ट रेजिन’ सामान्य मूल्य से कम कीमत पर निर्यात किया गया है।
इस कदम से भारतीय बाजार में इस उत्पाद की डंपिंग हुई है।
निदेशालय की अधिसूचना में कहा गया है कि इन देशों से आयात के कारण घरेलू उद्योग को नुकसान पहुंचा है।
इसमें कहा गया, “प्राधिकरण आयात पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश करता है... ताकि देश में डंप किए गए आयात के हानिकारक प्रभावों को दूर किया जा सके।”
अनुशंसित शुल्क 89 डॉलर प्रति टन से लेकर 707 डॉलर प्रति टन के बीच है। शुल्क लगाने का अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय लेता है।
डीजीटीआर ने केमप्लास्ट सनमार लिमिटेड से इसी संबंध में एक आवेदन के बाद जांच की।
डंपिंग-रोधी जांच देशों द्वारा यह पता लगाने के लिए की जाती है कि सस्ते आयात में वृद्धि के कारण घरेलू उद्योगों को नुकसान तो नहीं पहुंचा है। जवाबी कार्रवाई के तौर पर, वे जिनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की बहुपक्षीय व्यवस्था के तहत ये शुल्क लगाते हैं।
इस शुल्क का उद्देश्य निष्पक्ष व्यापार तरीकों को सुनिश्चित करना और घरेलू उत्पादकों तथा विदेशी उत्पादकों और निर्यातकों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना है।
भारत ने चीन सहित विभिन्न देशों से सस्ते आयात से निपटने के लिए पहले ही कई उत्पादों पर डंपिंग-रोधी शुल्क लगा दिया है।
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