(योषिता सिंह)
संयुक्त राष्ट्र, 19 अगस्त विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान के घटनाक्रम ने स्वभाविक रूप से क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर उनके प्रभावों को लेकर वैश्विक चिंता बढ़ा दी है।
अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता पर काबिज हो गया है और उससे पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर हुए ।
‘आतंकवादी गतिविधियों के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को उत्पन्न खतरा’ विषयक उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद बैठक की अध्यक्षता करते हुए जयशंकर ने अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर चिंता प्रकट की जहां भारत ने पिछले दो दशकों में भारी निवेश किया है। फिलहाल भारत सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है।
जयशंकर ने कहा कि भारत के बिल्कुल पड़ोस में इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड लेवंट -खुरासन (आईएसआईएल-के) अधिक ताकतवर हो गया है और वह अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ अफगानिस्तान में घटित हो रही घटनाओं ने स्वभाविक रूप से क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर उनके प्रभावों को लेकर वैश्विक चिंता बढ़ा दी है।’’
उन्होंने कहा कि प्रतिबंधित हक्कानी नेटवर्क की गतिविधियों में वृद्धि इस बढ़ती चिंता को सही ठहराती हैं।
जयशंकर ने कहा कि चाहे वह अफगानिस्तान में हो या भारत के विरूद्ध, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन बेखौफ अपनी गतिविधियां चलाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए, यह जरूरी है कि (सुरक्षा) परिषद हमारे सामने मौजूद समस्याओं पर चुनिंदा, चातुर्यपूर्ण या उदासीन रवैया नहीं अपनाए। हमें आतंकवादियों की पनाहगाहों का कभी समर्थन या उनके लिए संसाधनों को जुटाए जाने की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। ’’
जयशंकर ने अफगान इंस्टीट्यूट फोर स्ट्रेटेजिक स्टडीज के महानिदेशक डॉ. दावूद मोराडियान को इस ब्रीफिंग से जुड़ने
और इस मुद्दे पर अपना बहुमूल्य दृष्टिकोण साझा करने के लिए धन्यवाद दिया।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)