पुणे, 28 अगस्त राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने आरोप लगाया है कि राकांपा प्रमुख शरद पवार ने 2003 में तेलगी घोटाले के आरोपों के आधार पर उन्हें महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए कहा था।
भुजबल ने कहा कि हालांकि उन्होंने फर्जी स्टाम्प पेपर रैकेट के सरगना की गिरफ्तारी का आदेश दिया था, लेकिन इसके बावजूद उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। भुजबल एक समय कभी शरद पवार के विश्वासपात्र माने जाते थे।
भुजबल ने रविवार को बीड में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि 1990 के दशक में जब बॉम्बे (अब मुंबई) की महानगरपालिका के तत्कालीन उप नगर आयुक्त जी. आर. खैरनार सहित कुछ लोगों ने शरद पवार के खिलाफ आरोप लगाए थे, तब किसी ने भी पवार का इस्तीफा नहीं मांगा था।
छगन भुजबल इस समय अजित पवार के नेतृत्व वाले राकांपा के गुट का हिस्सा हैं। वह शिवसेना-भाजपा-राकांपा गठबंधन सरकार में मंत्री भी हैं।
शरद पवार मार्च 1993 से मार्च 1995 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे थे।
मुंबई में अवैध अतिक्रमणों पर कार्रवाई करने के लिए 'डिमोलिशन मैन' के रूप में जाने जाने वाले खैरनार ने शरद पवार पर कुछ आरोप लगाए थे।
भुजबल ने शरद पवार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, ‘‘ 23 दिसंबर 2003 को आपने (शरद पवार) तेलगी घोटाले में उपमुख्यमंत्री पद से मेरा इस्तीफा ले लिया। मैं तब गृह मंत्री था। मैंने ही तेलगी को गिरफ़्तार करवाया था। मैंने पुलिस से तेलगी के खिलाफ मकोका लगाने और कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा था। लेकिन, कुछ लोगों द्वारा मुझ पर लगाए गए आरोपों के आधार पर आपने मुझे बुलाया और इस्तीफा देने को कहा। ’’
भुजबल ने सवाल करते हुए कहा, ‘‘ वर्ष 1992, 93 और 94 में जी आर खैरनार समेत कुछ लोगों ने पवार साहब पर कुछ आरोप लगाए, लेकिन किसी ने उनका (पवार का) इस्तीफा नहीं मांगा। आपने भी पद नहीं छोड़ा, लेकिन मुझसे इस्तीफा देने के लिए क्यों कहा गया? ’’
भुजबल ने जब यह बयान दिया, तो उस समय मंच पर अजित पवार भी मौजूद थे।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)