नयी दिल्ली, 19 सितंबर भारत के संसदीय लोकतंत्र में राज्यसभा के योगदान की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि उच्च सदन के सदस्यों की उदार सोच के कारण ही यह संभव हो पाया कि संख्या बल नहीं होने के बावजूद उनकी सरकार पिछले नौ वर्ष में कुछ कड़े निर्णय कर पायी।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात नये संसद भवन में राज्यसभा की पहली बैठक को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि आज का दिवस यादगार भी है और ऐतिहासिक भी।
उन्होंने भारत के संसदीय लोकतंत्र में राज्यसभा के योगदान की चर्चा करते हुए हुए कहा कि संविधान निर्माताओं का यह आशय रहा है कि राज्यसभा राजनीति की आपाधापी से ऊपर उठ कर गंभीर बौद्धिक विचार-विमर्श का केंद्र बने और देश को दिशा देने का सामर्थ्य यहीं से निकले। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में संघवाद की सुगंध भी है
उन्होंने कहा कि नया संसद भवन केवल एक नयी ‘बिल्डिंग’ नहीं है बल्कि एक नयी शुरुआत का प्रतीक भी है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें तय समय सीमा में लक्ष्यों को पूरा करना है क्योंकि देश ज्यादा प्रतीक्षा नहीं कर सकता।’’
उनहोंने कहा, ‘‘हम अपने आचरण, अपने व्यवहार से संसदीय शुचिता के प्रतीक के रूप में देश की विधानसभाओं को, देश की स्थानीय स्वराज संस्थाओं को, बाकी सारी व्यवस्थाओं को प्रेरणा दे सकते हैं।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा के सदस्यों की उदार सोच का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके कारण सरकार पिछले नौ साल में संख्या बल नहीं होने के बावजूद कुछ कड़े निर्णय कर पायी।
उन्होंने कहा, ‘‘ जब हम आजादी की शताब्दी मनायेंगे तो वह विकसित भारत की स्वर्ण शताब्दी होगी। पुराने संसद भवन में हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में पहुंचे थे और नये संसद भवन में हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेंगे।’’
माधव ब्रजेन्द्र
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