पुंछ/जम्मू, 31 दिसंबर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने रविवार को उन तीन नागरिकों के परिवारों के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा, एक सरकारी नौकरी और एक आवासीय भूखंड की मांग की, जो सेना की दो गाड़ियों पर आतंकी हमले के पश्चात सुरक्षा बलों द्वारा पूछताछ के लिए ले जाये जाने के एक दिन बाद मृत पाए गए थे।
मुफ्ती ने आरोप लगाया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे के दौरे के बावजूद पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
मुफ्ती ने संवाददाताओं से कहा, "मैं उपराज्यपाल से आग्रह करती हूं कि वे रक्षा मंत्री से मृत नागरिकों के परिजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा, एक सरकारी नौकरी और सड़क के किनारे एक भूखंड प्रदान करने को कहें। घायल व्यक्तियों को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए।’’
उन्होंने घटना की न्यायिक जांच की मांग की।
पुंछ में 21 दिसंबर को सेना के दो वाहनों पर आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले के बाद सेना द्वारा पूछताछ के लिए ले जाये गए तीन नागरिक पिछले सप्ताह शुक्रवार को मृत पाए गए थे।
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने परिवारों को आर्थिक मुआवजा और नौकरी देने की घोषणा की है। उसने कहा है कि ‘मेडिको-लीगल’ औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और मामले पर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
सेना ने नागरिकों की मौत मामले की गहन आंतरिक जांच का आदेश दिया है और कहा है कि वह जांच के संचालन में पूर्ण समर्थन और सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुफ्ती ने जांच पर सवाल उठाए। उन्होंने सवाल किया, ‘‘हमने पिछली घटनाओं में जांच रिपोर्टों का हश्र देखा है। राजौरी में सेना द्वारा मारे गए तीन युवकों की जांच रिपोर्ट के बाद, अधिकारियों ने फर्जी हत्याओं की बात स्वीकार की, लेकिन उन्हें छोड़ दिया गया। आप इसमें क्या जांच करेंगे?’’
मुफ्ती ने कहा कि इस मामले में भी अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘लोग पुलिस और सेना के जवानों की पहचान कर रहे हैं, तो वे अज्ञात कैसे हो सकते हैं? यदि आप दोषियों को दंडित नहीं करते हैं, तो आप व्यवस्था के अपराधीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं। न्याय कैसे दिया जा सकता है?’’
मुफ्ती ने यह भी कहा कि प्रयासों के बावजूद उन्हें प्रभावित परिवारों और घायल लोगों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनसे मिलने की कोशिश की। मुझे घर में नजरबंद कर दिया गया। बाद में, मुझसे कहा गया कि आप जा सकती हैं, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जम्मू कश्मीर इकाई प्रमुख रवींद्र रैना और नेशनल कान्फ्रेंस नेतृत्व को क्षेत्र में जाने की अनुमति दी गई थी। लेकिन उन्होंने मुझे वहां जाने से रोक दिया। वे उस अत्याचार को छिपाना चाहते थे जो उन पर हुआ। मैं घायलों से मिलने के लिए अस्पताल जाना चाहती थी। फिर मैं बैंगी जाना चाहती थी, जहां से इन लोगों को ले जाया गया था। तलाशी अभियान के बहाने मुझे आगे बढ़ने से रोक दिया गया।’’
उन्होंने प्रभावित परिवारों के साथ सहानुभूतिपूर्ण जुड़ाव और शिकायतों के प्रभावी समाधान के लिए खुली बातचीत की आवश्यकता पर बल दिया।
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